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महिलाऐं निखारती ब्यूटीपार्लर से अपना कैरियर

सिरमौर / 5 मार्च / न्यू सुपर भारत

भौतिकतावाद के इस युग में महिलाएं महज हाउस वाईफ बनकर घर की चार दिवारी तक ही सीमितनहीं रहना चाहती, बल्कि जीवन में कामयाब बनने तथा आर्थिक संबल के लिये अलग-अलग क्षेत्रों मेंअपनी प्रतिभा को आजमा रही हैं। बेशक धन कमाने का कोई शॉर्ट-कट नहीं है, लेकिन हौंसला औरजज्बा हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। कई कार्य ऐसे भी हैं जिनसे हम अपना शौक पूरा कर, घरके खर्च में पति का हाथ ही बंटा सकती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जब एक हाउस वाईफस्वरोजगार के उद्देश्य से कोई कार्य आरम्भ करती है तो उसकी पर्सनेलिटी में निखार भी आता है, समाजऔर परिवार में उसे इज्जत मिलती है और साथ ही वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बनती है।

नाहन के समीप देवका पुड़ला पंचायत की देवका गांव की 37 वर्षीय ज्योति शर्मा के यह उदगार उनमहिलाओं को प्रेरित करने वाले हैं जो विशुद्ध रूप से हाउस वाईफ का जीवन जी रही हैं और आर्थिकतंगी के बावजूद अपने घर-संसार तक ही सीमित हैं।

ज्योति शर्मा के विचार, उनके उदगार ऐसी महिलाओं को भी प्रेरित करने वाले हैं जिनके परिवार कागुजारा पति की कमाई में बामुश्किल  चलता है किन्तु वह चाहकर भी अपने परिवार की आय को बढ़ानेमें मदद नहीं कर पाती हैंवजह यह है कि हर महिला के लिए घर के बाहर निकल कर नौकरी ढूंढनाइतना सरल भी नहीं है यदि कोई नौकरी मिल भी जाए तो महिला को अपनी प्रकृति और शोक केविरूद्ध कार्य करना पड़ता है साथ ही पारिवारिक जिम्मेवारियों से भी समझौता भी करना पड़ता है।  

ब्यूटीपार्लर को अपना कैरियर बनाने वाली ज्योति शर्मा कहती हैं कि शादी के बाद घर पर बैठने कीबजाये उन्होंने अपने पुराने शोक पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया। आज ब्यूटीपार्लर के काम से वहकरीब 20 से 30 हजार रुपये मासिक कमा रही है। इससे जहां उनके घर का गुजारा अच्छा चलता हैवहीं उनका ब्यूटिशियन बनने का शोक भी पूरा हो जाता है।

ज्योति ने वर्ष 2012 में ब्यूटीशियन का कार्य करना आरम्भ किया था। शुरूआत उन्होंने होम सर्विस केमाध्यम से की और धीरे-धीरे उनका यह शोक बड़ा होता गया और आज वह अपना पार्लर चलाती हैं।

 सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन शहर की एक तंग सी कुम्हार गली में ज्योति का अपना ‘‘वृंदा ब्यूटीपार्लर’’ चलता हैमुख्य मार्ग से दूर होने के कारण कस्टमर को दुकान तक पहुंचने में दिक्कतें आतीहैंखास तौर पर ब्राईड यानि किसी दुल्हन को जब तैयार करना हो तो शहर की तंग गली में गाड़ी लानेमें मुश्किलें आती है। इन सभी परिस्थितियों के बावजूद ज्योति अपने कार्य में काफी खुश है।

            ज्योति का सपना है, उसका अपना ग्रेंड सैलून हो जहां पर अपना शौक भी पूरा करे और उसकीआमदनी में भी इजाफा होज्योति चाहती है कि वह अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट में अपने पति को भी साथरखे ज्योति कहती हैं कि हम दोनों पतिपत्नी ने निर्णय लिया कि जल्दी ही हमारे पति भी ब्यूटिशियनका कोर्स करेंगे ताकि जब हम नये प्रोजेक्ट में कार्य करें तो दोनों साथ मिलकर चल सकें इस नयेसैलून को लगाने में करीब 10 लाख रुपये तक का खर्च आंका गया हैज्योति कहती हैं कि वह अवश्यही इस टारगेट को पूरा कर लेंगी।

ज्योति का मानना है कि छोटी आयु में विवाह होने के कारण वह अपना शोक पूरा नहीं कर पाई किन्तुअब वह इस शोक को पूरा कर रही हैब्यूटिशियन के इस कार्य में उन्हें उनके पति संजीव कुमार कापूरा सहयोग मिल रहा है ज्योति ने अगस्त 2022 में यूको आरसेटी संस्थान से 30 दिन का निःशुल्कब्यूटिशियन का कोर्स किया है।  

ज्योति का कहना है कि वर्तमान में कई लोग ब्यूटिशियन का कार्य कर रहे हैं किन्तु सभी लोग सहीप्रकार से प्रशिक्षित नहीं है। यह कार्य काफी संवेदनशील और रिस्की भी है। इसलिए ब्यूटीशियन केनाम पर हर किसी से कार्य करवाने से पहले जरूर सोचना चाहिए। क्योंकि एक बार यदि हम गलत होगए तो कस्टमर यानि महिला अथवा पुरूष की त्वचा को भारी नुकसान हो सकता है।

ज्योति विभिन्न सामाजिक कार्यों विशेष कर महिलाओं के सामाजिक आर्थिक उत्थान में अग्रणीभाग लेती हैवह कई स्वयं सहायता समूहों से भी जुड़ी हैं जो महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरितकरती हैमहिलाओं के लिए अपने संदेश में ज्योति कहती है कि काम करने की ईच्छा हो तो कुछ भीमुश्किल नहीं है, हाउस वाईफ को केवल घर की चार दिवारी तक सीमित नहीं रहना चाहिए।

 यूको आरसेटी संस्थान यानि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान नाहन की निदेशक अमिताशर्मा कहती हैं कि हम भारत सरकार के ग्रामीण मंत्रालय की ओर से महिलाओं को आत्म निर्भर बनानेके लिए कई प्रकार के कोर्स चला रहे हैं जिसमें से ब्यूटीशियन भी एक कोर्स है। ज्योति ने हमारेसंस्थान से ही ब्यूटिशियन का 

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