जब 26 विधायकों के पाला बदलने से गिरी थी शांता कुमार सरकार
शिमला / 6 मई / न्यू सुपर भारत ///
Himachal Politics : हिमाचल प्रदेश में लगभग जारी राजनीतिक उथल-पुथल और विधायकों के दल-बदल से कई राजनीतिक विश्लेषक हैरान हैं। क्योंकि, इस तरह की राजनीतिक उठा पटक हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में बहुत कम देखने को मिलती है, लेकिन प्रदेश में इस तरह बड़े पैमाने पर दल बदल की यह पहली घटना नहीं है। हिमाचल में सत्ताधारी दल से विधायकों के पलायन का इससे भी बड़ा मामला वर्ष 1980 में हो चुका है। अभी तो सत्तारूढ़ कांग्रेस के 6 विधायक राजेंद्र राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, देवेंद्र भुट्टो और रवि ठाकुर ने बगावत की है और विधानसभा से बर्खास्त होने के बाद भाजपा में शामिल हुए हैं।
कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए इन सभी 6 विधायकों को भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव में उतारा है. कांग्रेस के सभी 6 बागियों को उनके विधानसभा हलकों से टिकट दिया गया है. 3 निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा, होशियार सिंह और केएल ठाकुर भी भाजपा में शामिल हो गये हैं, परन्तु अभी उनक इस्तीफा स्वीकार नही हुआ है.
ऐसे गिरी थी शांता कुमार (Shanta Kumar) की सरकार
(Shanta Kumar) : ये किस्सा है वर्ष 1980 का जब जनता पार्टी के 26 विधायकों ने बगावत करके शांता कुमार की सरकार गिरा दी थी तथा केवल 9 विधायकों वाली कांग्रेस के ठाकुर राम लाल मुख्यमंत्री बन गए थे। उस समय 6 निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस का साथ दिया था। दरअसल, एमरजेंसी के बाद 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में जनसंघ और अन्य दलों के विलय से बनी जनता पार्टी को कुल 53 सीटें मिली थीं। कांग्रेस पार्टी केवल 9 सीटों पर सिमट गई थी और 6 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे। उस समय शांता कुमार मुख्यमंत्री बने थे।
1980 में हुई भारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच जनता पार्टी के 26 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। उस समय दल-बदल रोधी कानून नहीं था। इसलिए, जनता पार्टी के इन 26 विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से ठाकुर राम लाल मुख्यमंत्री बन गए थे। एक साथ 26 विधायकों का पलायन और केवल 9 सीटों वाली कांग्रेस द्वारा सरकार बनाना एक अप्रत्याशित घटना थी।
1977 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर जीते द्रंग से ठाकुर कौल सिंह, जोगिंद्रनगर से ठाकुर गुलाब सिंह, चच्योट से मोतीराम, नालागढ़ से विजयेंद्र सिंह, परागपुर से योगराज, कसौली के विधायक चमन लाल, कोटकहलूर के दौलत राम सांख्यान, बमसन के रणजीत सिंह वर्मा, हरोली के विजय कुमार जोशी, कुटलैहड़ के रामनाथ शर्मा, फतेहपुर के सुजान सिंह पठानिया और अन्य विधायक भी कांग्रेस के खेमे चले गए थे और कई अन्य विधायकों ने पाला बदलते हुए कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी और शांता कुमार की सरकार गिरा दी थी। इनमें से कई युवा नेता बाद में कांग्रेस की विभिन्न सरकारों में मंत्री भी रहे।