जो कुछ भी शरीर, बुद्धि, आत्मा से कमजोर बनाए उसे विष की तरह त्याग दें
ऊना / 25 अप्रैल / राजन चब्बा ///
सत्य वह है जो शक्ति, ज्ञान एवं पावनता प्रदान करे। आपको जो कुछ भी शरीर से, बुद्धि से आत्मा से कमजोर बनाए उसे विष की तरह त्याग देना होगा। हम जीवन में हर जगह धोखा खा सकते हैं पर प्रभु के चरणों में नहीं। कामना मिट जाने पर व्यक्ति इतना महान हो जाता है कि उसकी महिमा का बखान करते वेद-शास्त्र भी थक जाते हैं।
उक्त कथासूत्र शिव महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने कम्युनिटी सेंटर, ज्वार में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि नश्वर का भरोसा, नश्वर की आस, नश्वर का विश्वास हमें विनाश की ओर ले जाता है। शाश्वत परमात्मा का भरोसा, उसी को पाने की आस और उसी पर विश्वास हमें उसी में मिला देता है। हमारी धर्ममय प्रवृत्ति एवं ईश्वर में रुचि हो जाय तो कल्याण हो जाय। पर ज्ञान का आश्रय नहीं लेते इसीलिए अधर्म की प्रवृत्ति एवं संसार में रुचि हो जाती है। द्वैत के भ्रम के कारण हम अपने को अलग और ईश्वर को अलग मान कर व्यवहार करते है।
अतुल कृष्ण जी ने कहा कि ज्ञानवान मनुष्य भूत, भविष्य की चिंता किए बिना सफलता पाने के लिए निरंतर अपने कर्म में लगे रहते हैं. जो कर्मयोगी होते हैं उनकी साधना में शोक अथवा संदेह बाधा नहीं डाल पाते. अपने वर्तमान के प्रति सतत सावधान रहना प्रज्ञावान पुरुष का लक्षण है. श्रद्धा से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। इसी से भगवान शिव भी संतुष्ट होते हैं। श्रद्धावान ही उत्तम ज्ञान से विभूषित होकर इस जगत में यशस्वी होता है। जिस घर में प्रतिदिन कथा-कीर्तन, संध्या-वंदन एवं संतों का आना-जाना लगा रहता है वह घर सचमुच वैकुंठ के ही समान है।
इन तत्वों के अभाव वाले घर को श्मशान के समान ही समझना चाहिए। जिसमें विपरीत परिस्थितियों को सहने की क्षमता है वही अपने स्वभाव को भी जीत सकता है। आज कथा में देवी सती की महिमा, वीरभद्र द्वारा दक्ष-यज्ञ का नाश, महाराज हिमाचल के यहां देवी पार्वती का जन्म, भगवान शिव का कामदेव को भस्म करना, पार्वती जी का भगवान शिव की प्राप्ति के लिए तपस्या करना, भगवान शिव को विवाह के लिए देवताओं की प्रार्थना एवं शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से सर्वश्री प्रकाश चंद धीमान, राजेश धीमान, मुकेश कुमार, रछपाल सिंह, शिवकुमार, ओम दत्त शर्मा, चौधरी रमेश चंद्र एडवोकेट, निक्का राम, किशन दास, के सी शर्मा, तरसेम लाल, कुलभूषण ठाकुर, यशपाल, मदन लाल, चिंतराम, सुनील कुमार, निखिल ठाकुर, ओंकार सिंह, रामपाल, जितेंद्र, प्रदीप राणा, महेंद्र सिंह, अश्विनी शर्मा, जोगिंदर सिंह, राजेंद्र सिंह, कुलदीप सिंह, हुकुम सिंह, हरभजन सिंह, यशपाल, रवि दत्त, प्रकाश मियां, सतीश कुमार, अमन, लाडी, तृप्ता देवी, मनुबाला, किरण बाला, जसविंदर कौर, नीतू , लवली, विमला शर्मा, कुसुम, आत्मा देवी, श्रेष्ठा, सुनीता शर्मा, वंदना, सीमा, आंचल, बबीता, शगुन, रीना, रमादेवी, रुचिका, कुसुम, सुलक्षणा, कलावती, सीमा इत्यादि उपस्थित रहे.