विवेक विरोधी कार्य करने से हमारी उन्नति नहीं हो सकती : अतुल कृष्ण जी महाराज
खीण माजरा (रोपड़ ) / 29 नवम्बर / एन एस बी न्यूज़
हम भगवान से प्रीति करें। जो भगवान से स्नेह करते हैं वे सभी संकटों, दुखों एवं बधाओं से पार हो जाते हैं। सुख के लालच में हम धर्म का त्याग कर पाप में न प्रवृत्त हों। हम अपने विवेक का आदर करें। विवेक का दसवां हिस्सा ही हमारी बुद्धि है। विवेक विरोधी कार्य करने से हमारी उन्नति नहीं हो सकती। विवेक के अनुरूप डटे रहने से परम लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है। राजा परीक्षित ने अपने विवेक का आदर कर शुकदेव मुनि से परम लाभ प्राप्त कर लिया।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने श्रीरमताराम आश्रमए खीण माजरा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा सुनने वाले की दुर्गति नहीं होती। जो भगवान को अपना मान लेते हैं उनके लिए संसार खेल हो जाता है। हम भगवान को अपना न मानें फिर भी वे हमारे ही रहेंगे। कोई बच्चा मां से कहता है कि तू मेरी नहीं है फिर भी वह बच्चे की मां रहेगी। अथवा मां बेटे से कहे कि तू मेरा बेटा नहीं है फिर भी बेटा उसी का रहेगा। विनोद में मां बच्चे से कह सकती है कि तू मेरा नहीं है पर अंतर्मन उसे अपना ही मानती हैए ठीक इसी प्रकार भगवान के संबंध में हमें जानना चाहिए।
अतुल कृष्ण जी ने कहा कि भगवान के प्रति हमारी प्रीति जल बिन मछली की तरह हो जाय तो अपने जीवन को सफल जानिए। घट.घट वासी परमात्मा को ढूढ़ना कैसा। जब आराधना से चित्त निर्मल हो जाता है तो वे सर्वत्र अनुभव में आ ही जाते हैं। आज कथा में भगवान श्रीकृष्ण की अनेक बाल लीलाएंए महारासएकंस.वध एवं श्रीरुक्मिणि विवाह का प्रसंग सभी ने अत्यंत तन्मयता से सुना। इस अवसर पर सर्वश्री जसवंत सिंहए डाण् हरमेश कुमारए डाण् कुलदीपएपवन कुमारए लाला सतीश कुमारए मोहिन्दर लाल कोहलीए शिवरामए धर्मचंद भटियाए बलदेव राजए केसर चेचीए जसविन्दर सिंहए गुरप्रीत कोहलीए बिन्दु चेचीए सेठीए दर्शन लालए जगतार किसानाए पवनजीत सरपंचए सुभाष राणाए विनोद लालाए सुखदेव ठेकेदारए कमलेश ठेकेदारए बलवंत राजाए मदन लाल किसाना सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।