विटिलिगो मेलेनिन नामक त्वचा पिगमेट की है एक बीमारी
नारायणगढ़ / 27 अप्रैल / न्यू सुपर भारत
विटिलिगो मेलेनिन नामक त्वचा पिगमेट की एक बीमारी है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा के रंगद्रव्य या रंग का नुकसान होता है। जो विभिन्न कारणों से हो सकता है। इस रोग के बारे में नारायणगढ़ नागरिक अस्पताल की होम्योपैथिक चिकित्सक डा. सोमा चक्रवर्ती ने बताया कि विटिलिगो (फूलबैरी) त्वचा की समस्या नहीं है बल्कि त्वचा पर प्रतिबिम्ब के साथ ऑटोइम्यून बिमारी है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है तथा धीरे-धीरे बढती है।
होम्योपैथी विटिलिगों की रोकथाम के लिए बहुत अच्छा विकल्प है। उन्होने कहा कि दुर्भाग्य से ऐसे रोगी होम्योपैथी की ओर रूख करते है, जब अन्य उपचार उन्हें लम्बें समय तक राहत देने में विफल होते है। जबकि होम्योपैथी वास्तव में विटिलिगों के इलाज की उनकी पहली पसंद होनी चाहिए। नागरिक अस्पताल में संचालित होम्योपैथी सैंटर में विटिलिगो से ग्रसित मरीज आते है और होम्योपैथी उपचार के बाद काफी ठीक हुए है और कई ठीक हो रहे है।
होम्योपैथी उपचार कारगर साबित हो रही है। क्योंकि यह मूल कारण का इलाज करता है। होम्योपैथीक का प्राथमिक उदेश्य रोग को आगे बढने से रोकना और मौजूदा सफेद दागों में पुन: रजकता को प्रोत्साहित करना है। रोग को आगे होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यह लम्बे समय तक चलने वाले परिणाम देती है।
विटिलिगो मरीज इसलिए अधिक चिंतित होते है कि पैच फैलने और आकार में वृद्धि नहीं हो खासकर चेहरे पर। कई रोगियों में यह तनाव, अवसाद, चिंता और कम आत्मसम्मान की ओर जाता है। होम्योपैथी इस उपचार के दृष्टिकोण को लेती है और रोगियों को समग्र रूप से ठीक करती है। नारायणगढ अस्पताल में कार्यरत डॉ0 सोमा चक्रवर्ती (बी.एच.एम.एस. गोल्ड मैडलिस्ट) ने कहा कि होम्योपैथी उपचार से कई मरीज ठीक होकर जब अपनी खुशी व्यक्त करते है तो बहुत अच्छा लगता है।