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हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों पर रोक : 99 स्कूल होंगे बंद, जानें सरकार का बड़ा फैसला

शिमला / 31 जुलाई / न्यू सुपर भारत /

हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1 अगस्त से शिक्षकों के तबादलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही, शून्य छात्र नामांकन वाले 99 स्कूलों को बंद करने और 5 या उससे कम छात्रों वाले स्कूलों को मर्ज करने का आदेश जारी किया गया है। यह आदेश कैबिनेट के हालिया फैसले के बाद शिक्षा सचिव द्वारा जारी किए गए हैं।

शिक्षकों के तबादलों पर प्रतिबंध

25 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि मध्य सत्र में शिक्षकों के तबादले नहीं किए जाएंगे। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बीच सत्र में तबादलों से बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके अलावा, तबादलों की प्रक्रिया के दौरान शिक्षक सालभर सचिवालय और शिक्षा निदेशालय के चक्कर लगाते रहते हैं, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है।

शहरी स्कूलों में तबादलों की होड़

राजनीतिक संपर्क वाले शिक्षकों में शहरी स्कूलों में तबादला करवाने की होड़ रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने निर्णय लिया है कि अब शिक्षकों के तबादले साल में एक बार ही होंगे, जो शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले किया जाएगा।

शून्य नामांकन वाले स्कूलों का बंद होना

शिक्षा सचिव के आदेश के अनुसार, शून्य नामांकन वाले 89 प्राथमिक और 10 मिडिल स्कूलों को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, जिन प्राथमिक स्कूलों में 5 या उससे कम बच्चे हैं और 2 किलोमीटर के दायरे में एक अन्य स्कूल है, उन्हें बगल के स्कूल में मर्ज किया जाएगा। इसी तरह, जिन मिडिल स्कूलों में 5 या उससे कम बच्चे हैं और 3 किलोमीटर के दायरे में एक अन्य मिडिल स्कूल है, उन्हें भी मर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं।

शिक्षा में सुधार का प्रयास

यह कदम राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और छात्रों को बेहतर शैक्षिक माहौल प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। उम्मीद है कि इन सुधारों से शिक्षकों और छात्रों दोनों को लाभ मिलेगा और शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा।

निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों के तबादलों पर प्रतिबंध और शून्य नामांकन वाले स्कूलों को बंद करने के फैसले को शिक्षा में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस निर्णय से न केवल बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी, बल्कि शिक्षकों को भी अनावश्यक तबादलों के झंझट से मुक्ति मिलेगी। साथ ही, कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के मर्ज होने से संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। इन सुधारों के माध्यम से राज्य की शिक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ और प्रभावी बनाने की उम्मीद है।

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