ऊना / 31 दिसम्बर / राजन चब्बा विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी नाकामी का ठीकरा अधिकारियों और कर्मचारियों पर फोड़ रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि नाकामी सरकार यानी राजनीतिक नेतृत्व की रही है। सरकार अपने तीन साल के कार्यकाल में लगातार अफसरों ब कर्मचारियों को ताश के पत्तों की तरह फेंटती रही और तबादले करती रही ।जिससे किसी अधिकारी को सरकर पर यह भरोसा ही नहीं रहा कि वह कल कुर्सी पर रहेगा या नहीं। अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री के नोकरशाही को निकमी , चापलूस- चाटुकार करार देने पर एतराज जताया और कहा कि जयराम ठाकुर शाम को तबादले करते थे और सुबह फिर तबादलों की लिस्ट बदल देते थे। अब जब सरकार के तीन साल पूरे होने पर विकास कार्यों की समीक्षा बैठकों में सरकार की नाकामी सामने आ रही है तो मुख्यमंत्री बौखलाहट में अधिकारियों-कर्मचारियों को धमका रहे हैं ऐसे ग़ुस्सा खाने से रिपोर्ट कार्ड नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा कि नेतृत्व बेदम रहा जिस से प्रदेश की आपराधिक बर्बादी और बदहाली हुई।अब जब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के द्वारा घोषित योजनाएं जमीन पर नजर नहीं आ रहीं हैं तो अधिकारियों को दोषी ठहराया जा रहा है, जो सरकार की नाकामी को दर्शाता है। मुख्यमंत्री को काम न करने वाले अधिकारियों की लिस्ट बनाने की जगह माफियाओं, सत्ता के दलालों और भ्रष्टाचारीयों की लिस्ट बनानी चाहिए। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार के मंत्री अपनी पत्नियों की प्रमोशन और विधायक अपने भाईयों को मलाईदार पोस्ट दिलाने के लिए अफसरों पर दवाब बना रहे हैं, ऐसे में जनता के कार्य कैसे होंगे? मुख्यमंत्री को राजनैतिक लीडरशिप की नाकामी पर मंथन करना चाहिए। सरकार ने कोरोना संकट काल में लगातार अधिकारियों के तबादले किए हैं यहां तक कि स्वास्थ्य सचिव के साथ ही दर्जनों आईएएस अधिकारियों और जिला के डीसी के तबादले भी कर दिए।
अग्ग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री द्वारा विकास न होने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी बताने वाले बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जयराम ठाकुर अपनी नाकामी का ठीकरा अधिकारियों-कर्मचारियों पर फोड़ रहे हैं। सरकार के मुखिया होने के नाते सरकार की नाकामी की जिम्मेदारी खुद को लेनी चाहिए लेकिन मुख्यमंत्री पर पास साहस ही नहीं हैं। जिससे वह अब अधिकारियों-कर्मचारियों को कोस रहे हैं। अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार की असफलता का कारण ही यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने तीन साल कठपुतली के रुप में कार्य किया है जिससे प्रदेश में माफियाओं का राज हो गया है। सत्ता के संरक्षण में ही माफिया पूरे प्रदेश में फल फूल रहा है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सरकार की नाकामी के लिए अधिकारियों को दोषी बताकर अधिकारियों और कर्मचारियों का मनोबल कम किया है। जब मुख्यमंत्री में निर्णय लेने की क्षमता न हो तो अधिकारी कर्मचारी काम भी केसे करेंगे।
फैसले लेकर यूटर्न मारते रहे जयराम
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर में निर्णय लेने की क्षमता ही नहीं है। सरकार ने पूरे तीन साल निर्णय लेकर उससे पलटने का कार्य किया है। तीन वर्ष के कार्यकाल में सरकार ने सैकड़ों निर्णयों पर पलटने का कार्य किया है। एक कैबिनेट की बैठक निर्णय लेने के लिए होती है तो दूसरी कैबिनेट की बैठक निर्णय को पलटने के लिए होती है। सरकार खुद विधानसभा सत्र बुलाने का निर्णय लेती है और फिर खुद पलटती है कि अब विधानसभा सत्र नहीं होगा। इसी तरह स्कूल फीस के बारे में अभी तक सरकार के मंत्री कुछ बोले रहे हैं लेकिन सही निर्णय ही नहीं ले पा रहे हैं। कोरोना संकट काल में सरकार दिन में तीन-चार अधिसूचना जारी करती रही है। सुबह कुछ नियम बनाती रही और शाम को वह नियम पलटती रही है। जिससे साबित होता है कि सरकार में निर्णय लेने की क्षमता ही नहीं है।
कठपुठली मुख्यमंत्री के कारण माफियाओं का राज
जयराम ठाकुर प्रदेश के सबसे नाकारा मुख्यमंत्री साबित हुए हैं जो पूरी तरह कठपुतली बनकर कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी का चेहरा तो जयराम ठाकुर हैं लेकिन सत्ता की कमान माफिया संभाले हैं। जिसके कारण प्रदेश में अपराधियों और माफियाओं को सत्ता का खुला संरक्षण मिला है। सत्ता के संरक्षण में ही माफिया पूरे प्रदेश में कार्य कर रहा है। माफिया के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है क्यूँकि यह सरकार के निर्देश हैं,इसके साथ ही प्रदेश में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार के कार्यकाल में सबसे अधिक महिला उत्पीड़न और बलात्कार की घटनाएं हो रहीं हैं। इसके साथ ही नशा तस्कारों के हौसले बुलंद हैं। प्रदेश में लगातार नशे का कारोबार बढ़ रहा है। जिसे रोकने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है।
कोरोना काल में राहत तो नहीं दी महंगाई की मार मारी
विश्वव्यापी कोरोना संकट के समय प्रदेश के हजारों परिवारों पर आर्थिक संकट की मार पड़ी। इस कठिन दौर पर सरकार ने प्रदेश की जनता को कोई आर्थिक राहत प्रदान नहीं दी बल्कि उलटा महंगाई बढ़ाकर बोझ डालने का काम किया। सरकार ने राशन का दाम बढ़ाए, बसों का किराया बढ़ाया, बिजली के रेट बढ़ाए और पेट्रोल डीजल के रेट बढ़ाकर जनता पर महंगाई की मार की। इसके बाद भी सरकार दाबा कर रही है कि वह जन हितैषी सरकार है जो पूरी तरह जनता के विरोध में काम कर रही है। इसी का परिणाम है कि कोरोना संकट काल में आर्थिक परेशानी के कारण एक हज़ार लोगों ने आत्महत्या की है। लेकिन सरकार का ध्यान जनता की परेशानी की ओर नहीं है।
कोरोना संक्रमण से निबटने में सरकार फेल
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विपक्षी दल की आवाज को दबाने का प्रयास करते हैं। लेकिन जनहित में विपक्ष की आवाज दबने वाली नहीं है। विपक्षी दल कांग्रेस ने कोरोना संकट के समय सरकार को तैयारियों ने लिए आगाह किया लेकिन मुख्यमंत्री ने नहीं सुना। परिणाम यह हुआ कि आज प्रदेश में 50 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। एक हजार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। कोरोना संक्रमण ने निबटने में सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है। कोविड सेंटरों की दुर्दशा का बयान खुद सरकार के मंत्रियों ने किया है स्वास्थ्य तंत्र पर जनता का भरोसा नहीं रहा इसके बाद भी जयराम ठाकुर दाबे करते हैं कि सरकार कोरोना से निबटने में सफल रही है जो पूरी तरह झूठ है।