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संभावित सूखे से निपटने को अविलंब तैयार करें कार्य योजना: डीसी ***तैयारियों को लेकर उपायुक्त राघव शर्मा की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित

ऊना 26 नवम्बर (राजन चब्बा)::

सामान्य से कम वर्षा होने से संभावित रूप से पैदा हो रही सूखे की स्थिति तथा इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं को देखते हुए किसानों व बागवानों को राहत पहुंचाने की तैयारियों को लेकर उपायुक्त ऊना राघव शर्मा की अध्यक्षता में आज विभिन्न विभागों के साथ एक समीक्षा बैठक का आयोजन कया गया। उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि आगामी महीनों में यथास्थिति की संभावना के चलते सूखा प्रबंधन गतिविधियों को शीघ्र पूरा किया जाए, ताकि आपात स्थिति का बिना किसी विलंब सामना किया जा सके तथा जन सामान्य को भी न्यूनतम असुविधा हो।

उन्होंने सिंचाई विभाग को निर्देश दिए कि नलकूपों की आवश्यक मरम्मत समय पर कर ली जाए तथा अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता पर यथाशीघ्र मांग कर ली जाए। वर्तमान में जिला में पेयजल व्यवस्था सामान्य है तथा जरूरत पर जिला ऊना में स्थापित मशीनरी हालात से निपटने के लिए सक्षम है।बागवानी विभाग की तैयारीडीसी ने कहा कि जिला ऊना का लगभग 6200 हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी में आता है। जिला के बागवानों को फसल बीमा योजना के बारे में जागरुक करने के लिए अभियान चलाया गया है, ताकि बीमा योजाना का लाभ लेकर किसान सूखे अथवा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकें।

उन्होंने कहा कि ड्रिप सिंचाई तथा छिड़काव सिंचाई के लिए लघु व सीमांत किसानों को 85 प्रतिशत तथा सामान्य को 45 प्रतिशत अनुदान पर देने का प्रावधान है। जबकि सिंचाई के लिए जल संग्रहण टैंक व एचडीपी पाइप, माइक्रोन्यूट्रीऐंट अनुदान पर खंड स्तर के कार्यालयों के माध्यम से उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।उपायुक्त ने निर्देश दिए कि सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि व बागवानी विभाग संयुक्त रूप से किसानों के लिए कैंप का आयोजन करें। कोरोना सुरक्षा हेतु आयोजन खुले में किए जाएं और किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया जाए।

उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि रवी की फसलों में जिला के 39,120 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं, जबकि 1018 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादन किया जाता है। जिला के 12,335 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। सूखे की स्थिति बनने पर कुटलैहड़ तथा चिंतपूर्णी क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं, जबकि मैदानी क्षेत्र में पानी की कमी नहीं है। इसके अलावा फसल बीमा योजना के तहत जिला की मुख्य फसलों गेहूं तथा आलू को शामिल किया गया है, जिससे किसानों को राहत मिलेगी। जबकि विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के अन्तर्गत भी किसानों को राहत देने का प्रावधान है।

डीसी ने कृषि विभाग के विशेषज्ञों के माध्यम से नियमित अंतराल पर मृदा जांच तथा भूमि में नमी की जांच करते रहने के निर्देश दिए ताकि किसी अप्रत्याशित स्थिति पर किसानों को आवश्यक सुझाव दिए जा सकें। उन्होंने विभाग के फील्ड अधिकारियों के माध्यम से किसानों को सरकारी योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये।बैठक में उप-निदेशक कृषि अतुल डोगरा, बागवानी सुभाष चंद व पशुपालन विभाग से डॉ. सुरेश धीमान, भू-संरक्षण अधिकारी अमित कुमार मोदगिल, अधिशाषी अभियंता जल शक्ति विभाग केएस भाटिया व नरेश धीमान ने भाग लिया।-0-

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