*अब तक लगभग 10 हजार मास्क बनाकर लोगों को वितरित किए
ऊना / 7 मई / एन एस बी न्यूज़
जिला ऊना की आगंनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं कोरोना योद्धाओं के रूप में लोगों की मदद कर रही हैं। जिला ऊना की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व स्वयं सहायता समूहों ने अब तक लगभग 10 हजार मास्क बनाकर लोगों को वितरित किया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस सतनाम सिंह ने बताया कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
उन्होंने कहा कि ऊना उपमंडल में 7,171 जबकि अंब उपमंडल में अब तक 315 मास्क वितरित किए गए हैं व हरोली में 283, गगरेट में 1,292 व बंगाणा में 830 मास्क बनाकर वितरित किए गए हैं। रक्कड़ के शिव शक्ति स्वयं सहायता समूह ने सबसे अधिक 6 हजार मास्क तैयार किए हैं।
105 मास्क बनाने वाले कोटली आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता सेम लता ने कहा कि कोरोना के विरुद्ध जंग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मेहनत के साथ काम कर रहे हैं और जरूरतमंद लोगों तक मास्क बनाकर पहुंचा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्र मावा कोहलां की कार्यकर्ता सुनीता शर्मा ने बताया कि संकट के इस दौर में लोगों की मदद करना अच्छा लग रहा है। हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर योगदान दे रहा है और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी इस कार्य में समर्पण के साथ कार्य कर रही हैं। चौकी मन्यार आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता सरोज बाला ने 50 मास्क बनाकर तैयार किए हैं और उनका कहना है कि मास्क घर-घर जाकर बांटे जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार का धन्यवाद- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व स्वयं सहायता समूहों के बनाए गए मास्क पूरे ऊना जिला में वितरित किए गए हैं। ईसपुर निवासी रीटा देवी, मीनाक्षी, सरोज कुमारी तथा घनारी की ज्योति बाला, रेणु बाला तथा नेहा ठाकुर जैसी हजारों महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से मास्क मिले और यह सभी आज महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार का धन्यवाद कर रही हैं। सभी ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव में यह मास्क कारगर सिद्ध हो रहे हैं।
एसीएफ में भी निभाई सक्रिय भूमिका- जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस सतनाम सिंह ने कहा कि एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान (एसीएफ) में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बढ़चढ़ कर कार्य किया। इस अभियान में 543 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और 62 हजार से अधिक परिवार से बात कर संपर्क साधा। ताकि फ्लू जैसे लक्षणों वाले रोगियों का पता लगाया जा सके।