खीण माजरा (रोपड़) / 30 नवम्बर / राजन चब्बा
भगवान से अपना संबंध जान लेने से जीवन में पूर्णता आती है। परमात्मा को जाने बिना हम अधूरे हैं। श्रीमद् भागवत की कथा हमें जीवन.मृत्यु से परे ले जाती है। इसीलिए श्रीभागवतजी को मोक्ष शास्त्र कहा गया है। यह मनुष्य का अज्ञान ही है कि वह शरीर का तो साथ चाहता है अपने प्यारे प्रभु का नहीं। जिस दिन हम नाशवान शरीर से प्रीति छोड़ कर शाश्वत ब्रह्म को अपना मान लेंगे, हमारे जीवन में आनंद की महाधारा प्रकट हो जाएगी।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के समापन सत्र में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने श्री रमताराम आश्रम, खीण माजरा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम सब की सफलता के पीछे ईश्वर का ही हाथ है। अविद्या के कारण हमारी बुद्धि मर जाती है। जो प्रभु से सच्चा प्रेम करते हैं उनके जीवन से मृत्यु का भी भय समाप्त हो जाता है। याद रखें जो लोग मृत्यु से भय मानते हैं उनका अगला जन्म निम्न शरीरों वाला हो जाता है। जीवन और मृत्यु ईश्वरीय व्यवस्था है। जो इसे स्वीकार नहीं करते वे नादान लोग हैं।
कार्यक्रम के परमाध्यक्ष स्वामी नित्यानंद जी महाराज ने कथा में कहा कि मनुष्य जन्म पाकर भगवान का भजन न करना सबसे बड़ा पाप है। कितने आश्चर्य की बात है कि हमारे पास जैसे.तैसे हर कार्य के लिए समय मिल जाता है पर प्रभु के भजन के लिए वक्त ही नहीं निकल पाता। आज कथा में भगवान श्रीकृष्ण के 16108 विवाहए युधिश्ठिर का राजसूय यज्ञए सुदामा को ऐश्वर्य की प्राप्तिए सुभद्रा विवाहए भगवान का स्वधाम गमन एवं परीक्षित के मोक्ष का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना।
इस अवसर पर अनेक मनमोहक झांकियां भी निकाली गईं एवं सभी ने भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराधा जी के साथ अबीर गुलाल लगाकर ब्रज की रंग.बिरंगी होली का भी आनंद लिया। कथा के पश्चात प्रतिदिन की तरह विशाल लंगर.भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुाओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर स्वामी दासानंद, स्वामी दीप्तानंद, जसवंत सिंहए डाण् हरमेश कुमार, डाण् कुलदीप, पवन कुमार, लाला सतीश कुमार, मोहिन्दर लाल कोहलीए शिवरामए धर्मचंद भटियाए बलदेव राजए कमल चंद, केसर चेची, दौलत राम, गुरप्रीत कोहली, बिन्दु चेची, सेठी, दर्षन कुमार, जगतार किसाना, पवनजीत सरपंच, मनोहर लाल, सुभाष राणाए लाला विनोद कुमार, सुरजीत सिंह, शिंदर पाल, लालचंद,मदन लाल किसाना, लाडी, करन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।