बिलासपुर / 26 फरवरी / न्यू सुपर भारत
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 प्रकाश दडोच ने बताया कि तम्बाकू से जुडी बीमारियों से करीब 70 लाख लोंगों की मौत होती है। विश्व में प्रति वर्ष 10 में से 1 मौत तम्बाकू उपयोग के कारण होती है।
उन्होंने बताया कि भारत में प्रति वर्ष में तम्बाकू उपयोग से जुड़़ी बीमारियों की वजह से 10 लाख लोग काल का ग्रास बन रहे हैं तथा हर दिन 2200 लोग असमय जीवन से हाथ धो रहे हैं। इस समय भारत में 57 प्रतिशत पुरूष, 11 प्रतिशत औरतें और 14 प्रतिशत 13 से 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे तम्बाकू उपयोग की गिरफत में है जो गम्भीर चिंता का विषय है।
उन्होंने बताया कि धुम्रपान से कई प्रकार की सामाजिक एवं स्वास्थ्य संबन्धी समस्याएं झेलनी पडती हैं। उन्होंने बताया कि लोगों को तम्बाकू से जुडी बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए समय-समय पर समाज के विभिन्न वर्गों के बीच में जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे हैं, हर वर्ष 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू की शुरूआत चाहे प्रयोग व अनुभव की इच्छा से, मित्र मण्डली के दबाव में, शान या फैशन के तौर पर या घर में मां-बाप को पीते देख कर उन की नकल से शुरू की जाए, बाद में यह शुरूआत आदत बन जाती है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू में मौजूद निकोटेनिक एसिड की वजह से व्यक्ति में धूम्रपान की निभर्रता आ जाती है, जैसे शरीर मे निकोटिन का स्तर गिरता है व्यक्ति धूम्रपान की तलब करता है।
उन्होंने बताया कि तम्बाकू का सेवन करने वाली महिला के गर्भ ठहरने में देरी, बांझ होने व गर्भपात का अधिक खतरा, समय से पहले प्रसव व कम वजन के शिशु को जन्म देना, ऐसे बच्चों में मृत्यु का तीन गुणा अधिक खतरा रहता है, विकलांग बच्चा पैदा होना, मृत शिशु पैदा होना भी इसमें शामिल है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू के धुएं का प्रभाव पीने व साथ ही मौजूद न पीने वालों पर समान रूप से पड़ता है। मां-बाप के धुम्रपान के धुएं के प्रभाव से शिशु की अचानक मृत्यु होना, तम्बाकू का सेवन शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है।
उन्होंने बताया कि तम्बाकू के धुएं में 4 हजार से अधिक विशैले पदार्थ होते हैं जिनमें टार कैंसर होने के लिए उतरदाई है। इससे मुख्यतः मुंह, गले, फेफड़े का कैंसर, दमा, खांसी, हार्ट अटैक अचानक-हृदय गति का रूकना, स्ट्रोक-दिमाग की नसों का फटना, गैगरीन, नपुंसकता, अन्धापन, औरतों में गर्भाश्य कैंसर तथा कई अन्य घातक रोग होते है।
उन्होंने बताया किसिगरेट एंव अन्य तम्बाकू उत्पाद निशेध कानून 2003 के अन्तर्गत जन संस्थानों में धूम्रपान पर, तम्बाक प्रोत्साहन विज्ञापन पर, 18 वर्ष से कम आयु वर्ग को व इस आयु वर्ग द्वारा तम्बाकू पदार्थ बेचना व खरीदने पर, शिक्षण संस्थान के 100 गज के दायरे में धुम्रपान व बिक्री पर प्रतिबन्ध है। उल्लंधन करने वाले को कैद व जुर्माना दोनों का प्रावधान हैं।
उन्होंने बताया कि प्रतिदिन इच्छा शक्ति से तम्बाकू की मात्रा को धीरे-धीरे कम करना साथ ही डाक्टरी परामर्श से निकोटिन थैरपी का सहारा ले कर व खेल, व्यायाम तथा योग अपना कर इस आदत से छुटकारा पाया जा सकता है।