श्रीमद् भागवत कथा 29 दिसंबर 2019 से 04 जनवरी, 2020 नैहरियां, अम्ब
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नैहरियां, अम्ब / 31 दिसंबर / एन एस बी न्यूज़
श्रीमद् भागवत कथा आध्यात्म का महाअमृत है। जो अपने अहं को मिटा लेते हैं वे देवताओं के लिए भी आदर योग्य हो जाते हैं। मन की षान्ति आस्तिक को भी चाहिए और नास्तिक को भी। नास्तिक षान्ति को भौतिक जगत में खोजता है जबकि आस्तिक प्रभु के चरणों में। नास्तिक को अंततः निराषा ही हाथ लगती है। मन का भाव बदलते ही जीवन का लक्ष्य भी ऊंचा हो जाता है। हमें किसी भगवान ने परेषानियों के दलदल में नहीं धकेल रखा है। गहन विचार करेंगे तो पता चलेगा कि आज की स्थिति के लिए हम स्वयं ही जिम्मेवार हैं।
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उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृश्ण जी महाराज ने नैहरियां में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रीभागवत कथा बार-बार सुनने से हृदय का परिवर्तन हो जाता है। जिस घर में भगवान की कथा होती है वह स्थान स्वर्ग बन जाता है। प्रातः काल प्रभु का स्मरण करते हुए उठना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में उठने सेे अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। संसार की सारी संपदा भी भगवान की कथा के समक्ष अत्यंत अल्प है। ईष्वर का सतत चिंतन करने से गंगा जैसी पवित्रता, हिमालय जैसी अडिगता, सागर जैसी गहराई एवं चंद्रमा जैसी षीतलता प्राप्त होती है। मन विकार रहित होकर परम सुख का अनुभव करता है।
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महाराजश्री ने कहा कि परमात्मा में प्रीति से लोगों के भाग्य बदलते देखे गए हैं। मनुश्य की हर उलझन का समाधान है भगवान का आश्रय। अधूरा जीवन बिना परमात्मा की भक्ति के पूरा नहीं हो सकता। आलंबन सदैव षाष्वत का लेना चाहिए नाषवान का नहीं। विशयासक्त प्राणी सुखों की पूर्ति के लिए पाप के प्रति उत्सुक हो जाता है। पर प्रज्ञावान पुरुश अपने विवेक का उपयोग करते हुए मन के जाल में नहीं फंसता। हम ऐसे सामथ्र्य के भंडार हैं जिसमें मौत को भी पराजित करने की षक्ति छिपी हुई है। आज कथा में जड़ भरत का प्रसंग, अजामिल का उद्धार, श्रीनृसिंह अवतार की लीला एवं वामन भगवान का चरित्र सभी ने बड़ी श्रद्धा से सुना। कथा के मुख्य यजमान सतीष कुमार षर्मा (महंतू) ने बताया कि यह कथा 04 जनवरी 2020 तक प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक जारी रहेगी।