साधक मन से
भी किसी का बुरा न सोचे।क्योंकि ऐसा करने से मन अस्थिर होगा, फिर प्रभु के भजन-स्मरण में बाधा उत्पन्न होगी।
हम जब किसी को अपशब्द बोलते हैं तो सामने वाला भी अपनी शक्ति के अनुरूप प्रतिकार
करता है। अतः अपने चित्त को अशांत न होने दें।
भक्त हो, ज्ञानी हो अथवा योगी हो व्यवहार में
सावधानी अति आवष्यक है। गलत निर्णय जीवन में मुसीबतें लाती हैं, जिसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, अन्य नहीं। हर पल अपनी ही चिंता में डूबें रहें, यह स्वभाव ठीक नहीं। प्रभु चिंतन करें, जिसमें जीवन का खजाना छुपा हुआ है।
उक्त अमृतवचन
श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीयदिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने नैहरियां में व्यक्त किए। उन्होंने
कहा कि जो लोग प्रभु के भक्तों के निकट आते हैं उनका भी स्वभाव बदल जाता है।अपने
चित्त का दोष बिना गुरु के मिटा पाना मुश्किल है। जो मनुश्य शुभ कर्मों का त्याग करते हैं वे तेजहीन हो जाते हंै।
अशुभ चिंतन से हमारा पतन निश्चित है।अधिकार संपन्न जीवन के लिए भगवान का आश्रय
उत्तम साधन है। अंधानुकरण हमें विकाससे भटका देता है। ईश्वर की प्रार्थना उन्नति
के शिखर तक ले जाती है। जिस परमात्मा से
समस्त जगत विस्तृत है उसे भूले रहना मानवीय दुर्बलता है।
महाराज श्री
ने कहा किजो परमात्मा को जान लेता है वह उन्हीं का रूप बन जाता है। जब हमारे पुण्य
प्रचंडहोते हैं तो जीवन की पूर्णाहुति से पूर्व ही प्रभु के द्वार खुल जाते हैं।
आजकथा में भगवान शुकदेव का गंगा तट पर आगमन, परीक्षित के
विविध प्रश्न , ब्रह्मा जीद्वारा सृश्टि की रचना, भगवान कपिल का अवतार एवं ध्रुव जी की भगवत
प्राप्ति का प्रसंगसभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना। कथा से पूर्व श्रीभागवत जी की
षोभायात्रा भी निकालीगई। इस अवसर पर कस्तूरी लाल शर्मा, शशी पाल शर्मा, सतीश कुमार शर्मा (महंतू ), आदित्य शर्मा, आज्ञाराम, कृश्ण लट्ठ, शुभम शर्मा , साहिल शर्मा, यशपाल वर्मा, नानक चंददत्ता, चैन सिंह, अष्विनी शर्मा कौडिन्य, निहाल गर्ग, अभिशेक, हैपी शर्मा, हर्शित शर्मा, ध्रुव शर्मा, प्रद्युम्न
शर्मा, इंदू शर्मा, रीना शर्मा, प्रवीण शर्मा, अनीता शर्मा, सरोज, अंजू, मंजू देवी, शालू शर्मा, ईतिका शर्मा, तृप्ता बस्सी, चंचलादेवी, सरोज षर्मा, मीनू बस्सी, तृप्ता वर्मा इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।