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बाल अधिकारों की रक्षा करना राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का मुख्य उदेश्य :वंदना ठाकुर

** बच्चों के हित के लिए किए जा रहे कार्यों को पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर करें ताकि अन्य भी प्रेरणा लें- वंदना ठाकुर

**बच्चों के हित के लिए आपसी सामंजस्य से कार्य करें


बिलासपुर / 21 दिसम्बर / एन एस बी न्यूज़

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की 5 सदसीय टीम जिला बिलासपुर में 16 दिसम्बर से भ्रमण पर है। इस दौरान टीम द्वारा जिला के विभिन्न स्थानों में स्वास्थ्य, शिक्षा, बालआश्रम इत्यादि अनेक संस्थानों का गहनता के साथ निरीक्षण किया तथा निरीक्षण के दौरान जो भी जानकारियां मिली उस सम्बन्ध मंे आयोग की टीम द्वारा जिला प्रशासन के साथ बैठक की गई तथा सम्बन्धित अधिकारियों को प्राप्त जानकारियों से अवगत करवाया।


बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा वन्दना ठाकुर ने कहा कि राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग का मुख्य उदेश्य बाल अधिकारों की रक्षा, संवर्धन व बचाव करना है। उन्होने कहा कि बच्चे देश का भविष्य है। बच्चों के हित के लिए सम्बन्धित अधिकारी आपसी सामंजस्य से कार्य करें, तभी देश का भविष्य उज्जवल होगा। उन्होने कहा कि जिला में बच्चों के हित के लिए जो कार्य किए जा रहे है उन कार्यों को पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर करें, ताकि अन्य जिले भी इस जिला से प्रेरणा लेकर उसी आधार पर बच्चों की भलाई के लिए कार्य कर सकें।

उन्होने शिक्षा विभाग तथा महिला एंव बाल विकास विभाग को निर्देश दिए कि वे चाईल्ड हैल्पलाईन तथा पोक्सो एक्ट के बारे में बच्चों को शिक्षण संस्थानों में समय-समय पर जागरूक करने के लिए जागरूकता शिविरों का आयोजन करें तथा शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तथा अन्य स्थानों पर चाईल्ड हैल्पलाईन 1098
व गुडिया हैल्पलाईन 1515 के फलैक्स लगाना सुनिश्चित करें।


उन्होने बाल विकास अधिकारियों से कहा कि वे आंगनबाडी केन्द्रों का समय-समय पर निरीक्षण करें तथा सुनिश्चित करें कि सरकार द्वारा बच्चों को जो सुविधाएं प्रदान की जा रही है वे सुविधाएं उन्हें मिल रही है या नहीं। उन्होने कहा कि आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को भी समय-समय पर प्रशिक्षण दिलाना सुनिश्चित करें ताकि वे बच्चों की बेहतर ढंग से देखभाल कर सकें। उन्होने स्वास्थ्य विभाग को भी क्षेत्रीय अस्पताल के शिशु वार्ड में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होने कहा कि बच्चों के कल्याण के लिए यदि किसी भी चीज की आवश्यकता होतो आयोग के ध्यान में लाई जाए।


उन्होने जिला में चलाए जा रहे अपराजिता बाल आश्रम और आशा किरण सस्ंथानों में स्वच्छता तथा अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के निर्देश देते हुए कहा कि समय-समय पर इन संस्थानों का निरीक्षण किया जाए तथा यदि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का शोषण हो रहा हो तो इसकी रिपोर्ट तैयार करके तुरन्त भेजंे ताकि आगामी कार्यवाही की जा सके।


उन्होने कहा कि बाल मजदूरी व बाल भिक्षावृति रोकने के लिए समय-समय पर जागरूकता शिविरों का आयोजन तथा फलैक्स के माध्यम से भिक्षा देना व लेना दोनो ही अपराध है के बारे जागरूक करना सुनिश्चित करें। उन्होने कहा कि आयोग की टीम को विभिन्न संस्थानों पर निरीक्षण के दौरान जो भी जानकारियां मिली है, आयोग द्वारा उन सभी पर प्राथमिकता के साथ विचार किया जाएगा तथा समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाएगा।


जिला बाल संरक्षण अधिकारी रमेश संख्यान ने जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा चलाए जा रहे बाल उद्धार योजना, बाल-बालिका सुरक्षा योजना, वशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, राज्य/केन्द्रीय दत्तक संसाधन अभिकरण, जिला आश्रम कल्याण समिति, चाइल्ड हैल्पलाईन, वन स्टाप सैंटर, अनाथ बच्चों की भूमि संम्पत्ति
उनके नाम करवाने, शिक्षा का समान अधिकार, शिशुपालना केन्द्र, परामर्श सुविधा इत्यादि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की।


उपायुक्त राजेश्वर गोयल ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा एंव टीम के सदस्यों का स्वागत तथा आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निरीक्षण के दौरान जो भी फीडबैक प्राप्त हुई है और जो भी सुझाव दिए गए है, प्रशासन द्वारा उस पर तत्परता से कार्य करने का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य कुसुम वर्मा, असीमा चन्देल, सुचित्रा, सपना बंटा, निरंजना कवंर, एएसपी, भागमल, एसी. सिद्धार्थ आचार्य, सीएमओ. डा. प्रकाश दडोच, उपनिदेशक प्रकाश चन्द धीमान, जिला कार्यक्रम अधिकारी अंजूबाला के अतिरिक्त सरकारी व गैर सरकारी सदस्य
उपस्थित रहे।

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