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एसपी व एडीसी ने बैठक लेकर संक्रमण फैलाव को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा

फतेहाबाद / 26 अप्रैल / न्यू सुपर भारत


कोविड-19 महामारी संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सरकार द्वारा जारी की गई हिदायतों की पालना सुनिश्चित की जाए। हिदायतों की पालना न करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। ये निर्देश अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. मुनीष नागपाल ने सोमवार को लघु सचिवालय के सभागार में ड्यूटी मैजिस्ट्रेट और थाना प्रबंधों की संयुक्त बैठक में दिए। एडीसी डॉ. मुनीष नागपाल ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन का पालन करवाना संबंधित ड्यूटी मैजिस्ट्रेट और थाना प्रबंधक की जिम्मेवारी है।


अतिरिक्त उपायुक्त ने सभी ड्यूटी मैजिस्टे्रट से कहा कि वे अपने-अपने इलाकों में कोविड-19 संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए जारी की गई गाइडलाइन की पालना सुनिश्चित करें। ड्यूटी मैजिस्ट्रेट और थाना प्रबंधक अपने क्षेत्र में कोविड केयर सैंटरों और हस्पतालों का लगातार निरीक्षण करें। प्रतिदिन उसकी रिपोर्ट कंट्रोल रूम में दें।

उन्होंने कहा कि कोई भी सामाजिक कार्य करने से पहले नागरिकों को संबंधित एसडीएम से अनुमति लेनी होगी। इनडोर हाउस में अधिकतम 30 व्यक्ति, आउटडोर में अधिकतम 50 व्यक्ति तथा किसी के दाहसंस्कार में 20 से अधिक व्यक्ति शामिल नहीं हो सकते। एसडीएम, पुलिस व संबंधित विभाग की एनओसी के उपरांत ही सामाजिक कार्यक्रम की परमिशन देंगे। सामाजिक कार्यक्रम में कोविड गाइडलाइन को फोलो किया जाना आवश्यक है।


इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने कहा कि जिला में सामान्य हालात है। गाइडलाइन अनुसार प्रतिदिन सायं 6 बजे बाजार बंद होने है, इसकी पालना करवाने का दायित्व ड्यूटी मैजिस्ट्रेट और संबंधित थाना प्रबंधक का है। उन्होंने कहा कि आवश्यक सेवा दूध की डेयरी, हस्पताल, दवाईयों की दुकान, एटीएम, पैट्रोल पम्प खुले रहेंगे। खरीद कार्यों में लगे मजदूरों की आवाजाही को भी प्रभावित नहीं किया जाएगा।


ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त:-
जिला में ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध किए है। जिला में जिला आयुष अधिकारी डॉ. धर्मपाल पूनिया को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इनके साथ जिला उद्योग केंद्र के उप निदेशक जेसी लांग्यान को कंट्रोलिंग अधिकारी और डीएसपी सतेन्द्र को कानून व्यवस्था की जिम्मेवारी दी गई है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (धाराएं 51-60):-


बाधा डालना (धारा 51):-
यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को उनके कर्तव्यों को पूरा करने से रोकता या बाधा डालता है, या केंद्र/राज्य सरकारों या एनडीएमए द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने से इनकार करता है तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, इस धारा के अंतर्गत, दिशानिर्देशों का कोई भी उल्लंघन, जिसमें पूजा स्थल पर जाना, सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन करना आदि शामिल हैं, सभी को इस धारा के तहत अपराध माना जाएगा। इस धारा के अंतर्गत, 1 साल तक की कैद एवं जुर्माना। हालांकि, यदि उस व्यक्ति के कार्यों से जानमाल का नुकसान होता है, तो 2 साल तक की कैद एवं जुर्माना हो सकता है।

मिथ्या दावे (धारा 52):-
इस धारा के अंतर्गत, वह मामले आयेंगे जहां यह आरोप लगाया जाए कि अभियुक्त ने कुछ ऐसा लाभ (राहत, सहायता, मरम्मत, निर्माण या अन्य फायदे) का दावा किया जोकि मिथ्या था। इस धारा के अंतर्गत, दोषसिद्धि पर, कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा।

धन/सामग्री का दुरुपयोजन (धारा 53):-
यदि कोई व्यक्ति राहत कार्यों/प्रयासों के लिए किसी भी पैसे या सामग्री का दुरुपयोग, अपने स्वयं के उपयोग के लिए करता है, या उन्हें ब्लैक में बेचता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत 2 साल तक की कैद एवं जुर्माना हो सकता है।

मिथ्या चेतावनी (धारा 54):-
यदि कोई व्यक्ति एक झूठा अलार्म या आपदा के बारे में चेतावनी देता है, या इसकी गंभीरता के बारे में चेतावनी देता है, जिससे घबराहट फैलती है जोकि वह जानता है कि झूठी है, तो उसका यह कृत्य इस धारा के अंतर्गत दंडनीय होगा। इस धारा के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति ऐसा प्रयास करता है कि इस आपदा या उसकी गंभीरता के सम्बन्ध में आम जनता के बीच आतंक का फैलाव हो तो उसे इस धारा के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत, एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, धारा 55, सरकार के विभागों द्वारा अपराध से सम्बंधित है।

अधिकारी की कत्र्तव्य-पालन में असफलता (धारा 56):-
यदि एक सरकारी अधिकारी, जिसे लॉकडाउन से संबंधित कुछ कर्तव्यों को करने का निर्देश दिया गया है, और वह उन्हें करने से मना कर देता है, या बिना अनुमति के अपने कर्तव्यों को पूरा करने से पीछे हट जाता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा के अन्तर्गत, 1 साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है।

अध्यपेक्षा के सम्बन्ध में किसी आदेश के उल्लंघन के लिए शास्ति (धारा 57):-
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 65 के अंतर्गत, राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति, राज्य कार्यकारिणी समिति, या जिला कार्यकारिणी समिति को यह शक्ति दी गयी है कि वह किसी भी संसाधन, वाहन या भवनों की आवश्यकता पडऩे पर, जो उसे आपदा के जवाब में अपना काम करने के लिए चाहिए या आवश्यकता है, तो वह उसकी मांग रुपी आदेश कर सके अर्थात ऐसे संसाधन, वाहन या भवनों के सम्बन्ध में अध्यपेक्षा का आदेश जारी किया जा सकता है। इसी संबंध में, धारा 57 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति इस तरह के अपेक्षित आदेश का पालन करने में विफल रहता है, तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत, 1 साल तक की कैद एवं जुर्माना हो सकता है।

अधिनियम की अन्य धाराएँ (धाराएं 58-60):-
इस अधिनियम की धारा 58, कंपनियों द्वारा अपराध से संबंधित है। इसके अलावा, जहां धारा 59 अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (धारा 55 और धारा 56 के मामलों में) से सम्बंधित है, वहीं धारा 60 न्यायालयों द्वारा अपराधों के संज्ञान से संबंधित है।

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