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आचार्य देवव्रत द्वारा हिमाचल के प्रत्येक गांव को प्राकृतिक खेती का माॅडल बनाने का आह्वान ***पझौता आंदोलन के प्रणेता रहे स्वर्गीय वैद्य सूरत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन

सोलन / 19 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने युवा कृषकों का आह्वान किया कि वे हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक गांव को प्राकृतिक खेती का ऐसा माॅडल बनाएं जो पूरे देश के लिए आदर्श बने। आचार्य देवव्रत आज सोलन जिला के बड़ोग में राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती युवा किसान कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।


आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार के सहयोग से उन्होंने प्रदेश में किसानों-बागवानों को जिस प्रकार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया था उसका लाभ अब सभी महसूस कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश को पूरे देश में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के आदर्श के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती वास्तविक अर्थों में ईश्वर की पूजा है और रसायनिक खेती विनाश का प्रतिरूप है।

गुजरात के राज्यपाल ने युवा किसानों से आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती के रूप में एक फसल के स्थान पर मिश्रित खेती को अपनाएं ताकि उनकी आय में आशातीत बढ़ोत्तरी हो सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने अतुलनीय पर्यावरण प्रदान किया है। यहां किसानों को सब्जी, फल तथा तिलहन के उत्पादन की ओर ध्यान देना चाहिए।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के रूप में प्राकृतिक खेती को व्यापक बढ़ावा दिया गया और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश में प्राकृतिक खेती को मिशन मोड के रूप में अपनाया गया। उन्होंने कहा कि वे सभी किसानों को प्राकृतिक खेती के व्यवहारिक रूप की जानकारी प्रदान करते हैं। कुरूक्षेत्र में उनकी 200 एकड़ कृषि योग्य भूमि पर गेहूं की फसल 33 क्विंटल प्रति एकड़ होती है जबकि रसायनिक खेती में यह मात्र 22 क्विंटल प्रति एकड़ है। उन्हांेने कहा कि प्राकृतिक खेती में जल का उपयोग काफी कम होता है, इसका उत्पाद लम्बे समय तक ठीक रहता है और यह भूमि की प्राकृतिक उर्वरा शक्ति बनाए रखने एवं मनुष्य तथा जानवरों के लिए सर्वथा सुरक्षित है।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को नालागढ़ के प्राकृतिक एवं प्रगतिशील किसान अनुभव बंसल अपने प्राकृतिक खेती उत्पाद भेंट करते हुए।


गुजरात में भी उन्होंने हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक कृषि माॅडल पर प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाया है। गुजरात में एक ऐसी योजना कार्यान्वित की जा रही है जिसके तहत प्राकृतिक खेती अपनाने वाले एवं भारतीय नस्ल की गाय पालने वाले किसान को प्रतिमाह 900 रुपए उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। लगभग 1.25 लाख किसानों के खातों में 03 माह के 2700-2700 रुपए आ गए हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में प्रतिवर्ष 05 लाख किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने से देश वित्तीय तौर पर भी सशक्त बनेगा क्योंकि विश्व में प्राकृतिक उत्पाद की विशिष्ट मांग है। 
आचार्य देवव्रत ने इस अवसर पर सिरमौर जिला में पझौता आंदोलन के प्रणेता रहे स्वर्गीय वैद्य सूरत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘पझौता आंदोलन’ का उनके परिजनों की उपस्थिति में विमोचन किया।
हिमाचल प्रदेश के कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल को देश का पहला प्राकृतिक खेती राज्य बनाने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 25 करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैं। प्रदेश के ऊना जिला में 47 करोड़ रुपए की लागत से एक उत्कृष्ट केन्द्र स्थापित किया जा रहा है। इस केन्द्र में भारतीय नस्ल की रेड सिन्धी, साहीवाल एवं थार पारकर नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए अनुसन्धान एवं अन्य कार्य किए जाएंगे। 
कृषि मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मध्यम से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली पहाड़ी नस्ल की गाय की अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कार्य किया जा रहा है। इस गाय को ‘गौरी’ ब्राण्ड नाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए 10 करोड़ रुपए की परियोजना को भारत सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लिए भारत सरकार द्वारा गौकुल ग्राम भी स्वीकृत किया गया है। 

उन्होंने युवा किसानों से आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती अपनाएं और प्रदेश सहित देश को रसायनिक जहर से मुक्ति दिलाएं।
प्राकृतिक कृषि के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश के 12 जिलों के 80 विकास खंडों के 80,400 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 01 लाख किसान और 20 हजार हैक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के अधीन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला में 79 युवा किसान भाग ले रहे हैं। इनमें 57 स्नातक, 19 परास्नातक और 01 पीएचडी हैं। 
परियोजना के कार्यकारी निदेशक डाॅ. राजेश्वर चंदेल ने धन्यावाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और युवा किसान सम्वाद के माध्यम से सभी तक सारगर्भित जानकारी पहुंचाई।
इस अवसर पर बिलासपुर जिला के युवा किसान विचित्र सिंह, चंबा जिला की कृषक सरिता, कांगड़ा जिला के किसान विक्रम, किन्नौर जिला के कृषक रामशरण रोही, हमीरपुर जिला के किसान ललित कालिया, कुल्लू जिला के कृषक हीरा पाॅल, लाहौल-स्पीति जिला के स्पीति की कृषक याशा डोलमा, मण्डी जिला के किसान संजय कुमार, शिमला जिला की कृषक सुषमा चैहान, सिरमौर जिला के कृषक देवेंद्र चैहान, सोलन जिला की किसान अनीता देवी और ऊना जिला के कृषक अनुभव ने प्राकृतिक खेती के अपने विचार सभी से साझा किए।


इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त सोलन अनुराग चंद्र शर्मा, आतमा परियोजना के उपनिदेशक रविंद्र सिंह, अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी एवं किसान-बागवान उपस्थित थे।

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