नैहरियां ( अंब) 11 नवंबर / चब्बा
श्रीमद्भागवत कथा मानव मात्र के लिए दिव्य संपदा है। यह कथा बार-बार सुनने से तत्वज्ञान की सहज ही उपलब्धि हो जाती है। संसार में युद्ध जैसा घोर कर्म करते हुए भी ईश्वर की पूजा हो सकती है, यह ज्ञान भगवान श्रीकृश्ण ने अर्जुन को गीता सुनाकर दिखाया। इसी प्रकार जब राजा परीक्षित के लिए कल्याण के सारे मार्ग बंद जैसे हो गए तब श्री शुकदेव जी ने प्रकट होकर श्रीमद् भागवत कथा की अमृतबर्षा की।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थदिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने बद्रीदास आश्रम, नैहरियां में व्यक्त किए। उन्होंनेकहा कि मंत्रमय उपनिशद ग्रंथ वैदिक प्रस्थान हैं, जो अधिकारी साधकों के लिए सुगमहैं। दार्षनिक प्रस्थान के रूप में ब्रह्मसूत्र ग्रंथ अतिश्रेश्ठ है, पर विद्वानों के लिए। परन्तुस्मार्त प्रस्थान के रूप में श्रीमद् भागवत एवं भगवद् गीता की तुलना किसी भी ग्रंथ सेनहीं की जा सकती। श्रीभागवत जी का एक-एक ष्लोक अनुपम एवं अमृततुल्य है। मनुश्य कोअपने सनातन स्वरूप का ज्ञान कथा एवं सत्संग से ही हो सकता है। संपूर्ण जगत में विष्वनियंता परमात्मा जन-जन के लिए प्रतिपल भलाई के ही कार्य कर रहा है। हम यदि अपनेऐसे जीवनदाता प्रभु से विमुख बने रहेंगे तो कृतघ्नी ही सिद्ध होंगे।
महाराजश्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कोकल्पद्रुम भी कहा जाता है। इसका एक नाम परमहंस संहिता भी है। वैश्णवजन इसे श्रीमद्भागवत महापुराण के नाम से भी संबोधित करते हैं। वे लोग परम भग्यषाली हैंजो भगवान की ऐसी दिव्य कथा से जी नहीं चुराते। आज कथा में गजेन्द्र मोक्ष,भगवान श्रीराम का चरित्र एवं भगवान श्रीकृश्ण के प्राकट्य की लीला सभी ने अत्यंत श्रद्धा सेश्रवण किया। सभी ने नंद महोत्सव मनाते हुए नृत्य कर भगवान के जन्म की एक दूसरे कोबधाई दी। इस अवसर पर सर्वश्री यषपाल वर्मा, रामजी दास, प्रकाषचंद धीमान, मस्तानसिंह, मास्टर केषवचंद लाहड़, षिवकुमार षर्मा, ओमदत्त षर्मा ज्वार, रछपाल सिंह, नानकचंददत्ता, चैन सिंह, नंदकिषोर वर्मा, अषोक वर्मा, तरसेमलाल बस्सी, षुकदेव सागर बस्सी,अजय षर्मा सोनू, जोगराज षर्मा, षुकदेव षर्मा, रमेष षर्मा, अभिशेक, निहालगर्ग, ऋशभ षर्मा, आराधना गर्ग, ज्योति ठाकुर, पुश्पलता षर्मा, लता षर्मा चकसराय,तृप्ता वर्मा, चंचला बस्सी, मनु बस्सी इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।