शिमला / 25 सितम्बर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
शहरी विकास एवं सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां जारी एक प्रेस वक्तव्य में कहा कि कृषि विधेयक से आने वाले वर्षों में देश के कृषि क्षेत्र में क्रान्तिकारी बदलाव आएगा। यह बिल कृषि क्षेत्र को सहायता प्रदान करने के साथ-साथ किसानों को विखण्डित कृषि प्रणाली से भी मुक्ति दिलाने में सहायक सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि विशेषकर लघु एवं सिमान्त किसानों को लाभान्वित करने के लिए केवल योजनाएं एवं नीतियां काफी नहीं है, बल्कि कानून में संशोधन अथवा नया कानून लाने की भी आवश्यकता है। यह विधेयक इसी दिशा में एक बड़ा ऐतिहासिक कदम है, जिससे कृषि क्षेत्र और मजबूत होगा।
उन्होंने विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस पार्टी का इस विधेयक का विरोध करने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस राष्ट्र व राज्य स्तर पर विपक्षी दल है, जो केवल विरोध के लिए हर बात का विरोध करती है, लेकिन जब किसानों के हित और कृषि क्षेत्र के सुदृीढ़ीकरण की बात हो तब राजनीतिक विरोध नही होना चाहिए क्योंकि किसान देश की आर्थिकी की रीढ़ हैं। केन्द्र में यूपीए सरकार के शासन के दौरान कांग्रेस पार्टी कृषि उपज विपणन मण्डियों (एपीएमसी) को हटाने की वकालत कर रही थी और यहां तक कि 2019 के आम चुनावों में इसका वायदा भी किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसान विरोधी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों को भ्रमित कर रही है जबकि सरकार आश्वस्त कर चुकी है कि यह जारी रहेगा। उन्होंने पूछा कि अगर कांग्रेस न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर वास्तव में इतनी गम्भीर है तो अपने शासनकाल के दौरान कभी इसका उल्लेख क्यों नही किया।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि एपीएमसी और विपणन बोर्ड पहले की तरह कार्य करते रहेंगे और राज्य सरकार की ओर से उन्हें अनुदान भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कृषि विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त करने का उल्लेख नही है और इसके अन्तर्गत सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रापण में भी कोई बदलाव नही होगा। इस विधेयक से देश व प्रदेश में निजी कृषि मण्डियों की अधोसंरचना विकसित होगी और बाजार तक किसानों की सीधी एवं सरल पहुंच निश्चित होगी।
शहरी विकास एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस विधेयक से किसानों को उनके कृषि उत्पाद के बेहतर दाम सुनिश्चित होंगे। इससे कृषि में विवधता आएगी और नकदी फसलांे पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया जागएा। इसके साथ ही इस विधेयक से कृषि व्यवसाय की आपूर्ति में सुधार और कीमतों में उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण होगा।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2009-10 में यूपीए सरकार के शासनकाल में कृषि क्षेत्र के लिए 12 हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था, जिसे वर्तमान केन्द्र सरकार ने बढ़ाकर 1,34,000 करोड़ रुपये किया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत किसानों के खाते में सीधे 92000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जा चुके हैं, जबकि आत्मनिर्भर पैकेज के अन्तर्गत कृषि क्षेत्र के लिए एक लाख करोड़ रुपये की घोषणा की गई है।