शिमला / 24 सितम्बर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा 21वीं अनुसंधान सलाहकार समूह की बैठक का आयोजन किया गया । बैठक का शुभारंभ डॉ. एस.एस. सामंत, निदेशक, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने किया । उन्होने अपने सम्बोधन में अनुसंधान सलाहकार समूह के विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े तथा सभागार में उपस्थित सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन तथा स्वागत किया।
डॉ. सामंत ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया कि इस समूह में वानिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, वन आधारित उद्योगो तथा गैर सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों तथा प्रगतिशील किसानों तथा बागवानों को शामिल किया जाता है । अनुसंधान सलाहकार समूह के मुख्य कार्यों में, अनुसंधान प्राथमिकताओं के समग्र ढांचे के अनुसार वानिकी अनुसंधान में दिशा प्रदान करना, प्रस्तावित वानिकी अनुसंधान परियोजनाओं और कार्यक्रमों की जांच और अनुशंसा करना, आगामी पाँच वर्षों के लिए कार्य-योजना बनाना, इसकी समीक्षा करना तथा समय-समय पर संस्थान द्वारा सौंपे गए वानिकी अनुसंधान से संबंधित अन्य कार्य करना, इत्यादि है।
उन्होने बताया कि संस्थान द्वारा वानिकी के विभिन्न क्षेत्रों में हितधारकों द्वारा सुझाए गए विषयों पर अनुसंधान परियोजनाएं तैयार की गई है, जिन्हें संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा इस समूह के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तथा यह समूह इन अनुसंधान परियोजनाओं के महत्व तथा इनकी तकनीकी बारीकियों पर अपने सुझाव तथा ग्रेडिंग प्रस्तुत करेंगे तथा इस समूह द्वारा अनुशंसित परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहारादून की अनुसंधान नीति समिति द्वारा अंतिम स्वीकृति के प’चात हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाएगा।
संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा जड़ी-बूटियों, माईकोराहिजा पादप, जैव-विविधतता, हेरबेरीयम का डिजिटाइजेशन, इत्यादि विषयों पर बनी परियोजनाओं पर प्रस्तुति दी । तदुपरान्त अनुसंधान सलाहकार समिति के सभी सदस्यों ने अपने-अपने सुझाव दिए और संस्थान के प्रयासों को सराहा।
बैठक के अंत में डॉ. राजेश शर्मा, समूह समन्वयक अनुसंधान ने सभी अनुसंधान सलाहकार समूह के सभी माननीय सदस्यों का इस बैठक में भागीदारी हेतु धन्यवाद किया तथा बताया कि इस वर्ष इस समूह द्वारा संस्थान की लगभग 175 लाख रुपए की 4 अनुसंधान परियोजनाओं को अनुशंसा प्रदान की, जिन्हे भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहारादून की अनुसंधान नीति समिति की स्वीकृति के प’चात अप्रैल 2021 से हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में कार्यान्वित किया जाएगा । उन्होने बताया कि इन परियोजनाओं से प्राप्त होने वाले परिणामों से राज्य वन विभागों को वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन तथा नीतियां बनाने में तथा प्रगतिशील किसानों तथा बागवानों को अपनी आजीविका बढ़ाने में सहायता मिलेगी ।
इस बैठक में हिमाचल प्रदेश वन विभाग की ओर से श्री हरी सिंह डोगरा, प्रधान मुख्य अरण्यपाल (अनुसंधान एवं प्रशिक्षण), डॉ. सुशील कापटा, मुख्य अरण्यपाल, जम्मू-कश्मीर वन विभाग से श्री जितेंदर सिंह, अरण्यपाल (अनुसंधान), जम्मू-कश्मीर वन विभाग तथा लद्दाख वन विभाग से श्री प्रीत पाल सिंह, मुख्य अरण्यपाल, डॉ. विमल कोठियाल, सहायक महानिदेशक (अनुसंधान नीति), भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहारादून, प्रोफेसर, तेजनाथ लखनपाल, प्रोफेसर एस. पी. भारद्वाज, प्रोफेसर अरविंद कुमार भट, डॉ. जे.एल.एन. शास्त्री, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, नई दिल्ली, डॉ. भूपिंदर गुप्ता, डीन (वानिकी), यू.एच.एफ. नौणी, सोलन, डॉ. संजय उनियाल, डॉ. के.एस. कंवल, डॉ. मोहर सिंह ठाकुर, तथा अन्य लोगों ने भाग लिया।