*योजना के अन्तर्गत वर्तमान सरकार के कार्याकाल में राज्य में अब तक 101585 किसानों को की जा चुकी है 19.54 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति
शिमला / 20 सितम्बर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
प्रदेश के किसानों द्वारा उगाई जाने वाली मुख्य फसलों जैसे गेंहू, मक्की, धान, जौ को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सहायक सिद्व हो रही है। इस योजना से किसानों को उनके नुकसान की अब भरपाई होने लगी है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में किसान हित में लागू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सीधा लाभ अब प्रदेश के किसानों को मिलने लगा है।
मौसम आधारित नगदी फसलें भी योजना में शामिल
राज्य में लोगों द्वारा उगाई जाने वाली मुख्य फसलों के अलावा नगदी फसलों, टमाटर, मटर, अदरक, लहसुन, शिमला मिर्च सहित अन्य मौसम आधारित नगदी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि आग, आसमानी बिजली, सूखा, शुष्क अवधि, बाढ़, जल भराव, ओलावृष्टि, चक्रवात, तूफान, भूस्खलन, बादल फटना, कीट व रोगों आदि से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ में शामिल किया गया है।
किसानों को की जा चुकी है 19.54 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति
राज्य सरकार किसान हित को देखते हुए राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को प्रभावी तरीके से कार्यान्वित कर रही हैं। सरकार के वर्तमान कार्याकाल में राज्य में अब तक 101585 प्रभावित किसानों को फसलों को हुए नुकसान की एवज में 19.54 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की गई है। योजना के अन्तर्गत जिला बिलासपुर में 8436, मंडी में 1081, सिरमौर में 1764, सोलन में 2659, चंबा में 3108, हमीरपुर में 45875, कांगड़ा में 22997, ऊना में 15652 और कुल्लू जिला में 13 किसानों को रबी व खरीफ की फसलों को हुए नुकसान की एवज में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्र्तगत क्षतिपूर्ति की गई है।
बीमित राशि पर प्रीमियम की अधिकतम दर 5 प्रतिशत
योजना के अन्तर्गत फसल का बीमा करवाने के लिए किसानों के लिए प्रीमियम दर बीमित राशि पर अधिकतम 5 प्रतिशत रखी है। जबकि मौसम आधारित फसलों के लिए खरीफ मौसम के लिए बीमित राशि के अनुसार 2 प्रतिशत व रबी के मौसम के लिए 1.5 प्रतिशत रखी गई है। प्रीमियम दर यदि 5 प्रतिशत से अधिक होती है तो वह राज्य व केन्द्र सरकार 50ः50 के अनुपात में वहन करेगी।
मौसमी व्यवहार बीमा आवरण में कवर
मौसमी व्यवहार को भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किया गया है। अगर किसान कम वर्षा या प्रतिकूल म©समी व्यवहार के कारण समय पर अपने खेतों में फसल की बुवाई नहीं कर पाता है त¨ उसे भी बीमा आवरण में कवर किया गया है। इसके अलावा फसल कटाई के उपरांत खेत में सुखाने के लिए रखी गई फसल यदि 14 दिन के भीतर चक्रवाती बारिश, चक्रवात, ओलावृष्टि व बेम©समी बारिश के कारण खराब ह¨ जाती है, त¨ उस स्थिति में फसल की क्षतिपूर्ति का आकंलन खेत स्तर पर ही करके क्षतिपूर्ति की जाती है।
गैर ऋणी किसानों के लिए स्वैच्छिक है योजना
गैर ऋणी किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना स्वैच्छिक है, जबकि खेती के लिए ऋण लेने वाले किसानों के लिए योजना के अन्तर्गत सभी ऋणी किसानों का वित्तिय संस्थाओं द्वारा स्वतः ही बीमा कर दिया जाता है। यदि कोई ऋणी किसान इस योजना का लाभ नहीं उठाना चाहते हैं तो वह इस संबंध में अपना घोषणा पत्र सम्बन्धित बैंक मंे साल में कभी भी जमा करवा सकता है। परन्तु यह घोषणा पत्र ऋणी किसान को सम्बन्धित बैंक शाखा को सम्बन्धित मौसम की बीमा करवाने की अन्तिम तिथियों से सात दिन पूर्व तक देना होगा।
खरीफ मौसम में यह नगदीं फसलें भी शामिल
खरीफ मौसम के लिए जिला सोलन, बिलासपुर, शिमला, सिरमौर कांगड़ा, कुल्लू व मंडी में चुने हुुए क्षेत्रों में टमाटर की खेती, जिला सोलन, बिलासपुर, सिरमौर जिले की अदरक की फसल, जिला शिमला, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, मंडी, कुल्लू व चम्बा की मटर की फसल, जिला चम्बा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल व स्पीति, मंडी, शिमला, सिरमौर व ऊना की आलू की फसल, जिला कुल्लू व शिमला (ठियोग) की बन्दगोभी की फसल, शिमला (ठियोग) व लाहौल व स्पीति की फूलगोभी की फसल को भी मौसम आधारित फसल बीमा योजना में शामिल किया गया हैं।
रबी मौसम में यह नगदी फसलें भी शामिल
रबी मौसम में जिला सोलन व मंडी में उगाई जाने वाली टमाटर की फसल, कांगड़ा की आलू की फसल, धर्मपुर जिला सोलन की शिमला मिर्च व सिरमौर और कुल्लू की लहसुन की फसल को भी मौसम आधारित फसल बीमा योजना में शामिल किया गया हैं।
किसान हित सुरक्षित करने के लिए सरकार प्रतिबद्व
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राज्य के किसानों के हित सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्व है। जिसके लिए सरकार किसानों को हर संभव सुविधा उपलब्ध करवा रही है। राज्य में किसान हित में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू किया गया है ताकि किसानों की फसलों को विभिन्न प्रकार की आपदाओं से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति की जा सके।