हरियाणा की तर्ज पर हिमाचल में भी पत्रकारों को सुविधाऐं प्रदान करे सरकार : जैरथ
नाहन / 06 फरवरी / न्यू सुपर भारत न्यूज़
हिमाचल प्रदेश सरकार पत्रकारों को हरियाणा सरकार की तर्ज पर सुविधाऐं प्रदान करने के लिए गंभीर नहीं है। यह बात हिमाचल प्रदेश पत्रकार महासंघ के महासचिव एसपी जैरथ ने वीरवार को मीडिया जारी व्यान में कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पत्रकारों को नाम मात्र की सुविधा दी जा रही है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश में कार्यरत पत्रकारों द्वारा सरकार का गुणगान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है।
उन्होने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षों से पत्रकार संघ हरियाणा की तर्ज पर सुविधाऐं प्रदान करने की मांग कर रहे हैं परंतु सरकार ने कभी पत्रकारों के हित में कभी गौर नहीं किया गया है। उन्होने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत करना सरकार का कर्तव्य है। उन्होने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा 20 वर्ष से अधिक समय से कार्य कर रहे और 60 वर्ष से अधिक आयु पार करने वाले मान्यता प्राप्त पत्रकारों को दस हजार रूपये प्रति माह पैंशन दी जा रही है।
इसके अतिरिक्त हरियाणा सरकार द्वारा सभी पत्रकारों को आयुष्मान भारत योजना के तहत लाया गया है ताकि सभी पत्रकारों को वर्ष मे 5 लाख तक की निःशुल्क चिकित्सा सुविधाऐं उपलब्ध होे सके। यही नहीं मिडिया कर्मी के अक्समात निधन पर अढाई लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। उन्होने बताया कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए चंडीगढ में सरकारी आवास की सुविधा प्रदान करने का भी नियमों में प्रावधान किया गया है।
इसके अतिरिक्त हरियाणा सरकार द्वारा हॉऊसिंग बोर्ड कलोनी में 1.5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। उन्होने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों को हरियाणा रोडवेज की बसों के अतिरिक्त वोल्वों में निःशुल्क सफर की सुविधा प्रदान की गई है । पत्रकारों को मान्यता प्रदान करने के लिए नियमों को सरलीकरण किया गया है जिससे हरियाण के अधिकांश पत्रकारों को सरकार द्वारा मान्याता दी गई है।
जैरथ ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में राजधानी में कार्य कर रहे पत्रकारों को ही सरकारी आवास सुविधा प्रदान की जाती। जबकि जिला में किसी भी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सरकारी आवास की सुविधा नहीं दी जाती है सबसे अहम बात यह है कि खबरों का प्रवाह ग्रामीण परिवेश से होता है जिसमे जिला और उप मण्डल स्तर के पत्रकार सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।
जबकि जिला व उप मण्डल के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को साल में एक बार एक डायरी और एक कलैंडर दिया जाता है जबकि अन्य पत्रकारों को नहीं दिया जाता है शायद इससे सरकार के खजाने पर बहुत बोझ पड़ता होगा। कलैंडर और डायरी के एवज में उनसे पूरे वर्ष भर उनकी सेवाऐं ली जाती है। इसके अतिरिक्त जिला स्तर के पत्रकारों को सरकार द्वारा विज्ञापन इत्यादि देने से भी परहेज किया जाता है विज्ञापन केवल राज्य स्तर पर ही दिए जाते हैं।
हिमाचल में एक्रिडिएशन के नियम इतने पेचिदा बनाए गए है कि पत्रकारों को पूरे दस्तावेज देने के बावजूद भी मान्यता प्राप्त करने के लिए वर्ष भर तक इंतजार करना पड़ता है। अर्थात सरकार द्वारा जिला और उप मण्डल स्तर के पत्रकारों को कोई तव्वजो नहीं दी जाती है जबकि सही मायनों में यह पत्रकार ग्रास रूट स्तर पर कार्य करते है और सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों को आमजन तक पहूंचाते हैं।
उन्होने कहा कि जिला पर कार्य कर रहे मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सरकार द्वारा इस वर्ष लेपटॉप जरूर दिए गए है परंतु उप मण्डल के पत्रकारों को इससे वंचित रखा गया है। सबसे अहम बात यह है जिला स्तर पर भी कुछ पत्रकारों को ही मान्यता मिली है जबकि जिला स्तर पर कार्य कर रहे अनेक पत्रकार नियमोें की पेचिदगी होने के कारण मान्यता प्राप्त करने के लिए विभाग के पास मामले लटके पड़े हैं।
आखिर सवाल यह उठता है कि पत्रकारोें को बेहतरीन सुविधाऐं प्रदान करने में सरकार द्वारा क्यों भेदभाव किया जा रहा है। जिन पत्रकारों को मान्यता दी है उन्हें उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है ऐसे पत्रकारों को केवल एचआरटीसी की साधारण और डिलक्स बसों की सुविधा दी गई है। जिला व उप मण्डल के पत्रकारों को कोई चिकित्सा सुविधा सरकार द्वारा नहीं दी जा रही है।
हिमाचल प्रदेश पत्रकार महासंघ के महासचिव ने सरकार से अनुरोध किया है कि पत्रकारों की समस्याओं बारे गहनता से विचार किया जाए और हरियाणा की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी पत्रकारों को सुविधाऐं प्रदान की जाए अन्यथा पत्रकारों को भी आन्दोलन का रास्ता अख्तयार करना पड़ेगा। उन्होने कहा कि पत्रकार भी समाजिक प्राणी है और वह भी सरकार से आवश्यक सुविधाऐं लेने के हकदार है।
उन्होने सरकार से यह भी मांग की है कि पत्रकारों को समयबद्ध मान्यता दी जानी चाहिए और इस बारे विभाग की लचर व्यवस्था में सुधार लाया जाना चाहिए। ऐसा भी प्रतीत होता है नोडल विभाग आईपीआर द्वारा पत्रकारों के मामलों को सरकार के ध्यान में नहीं लाया जाता है।