ऊना / 16 अगस्त / न्यू सुपर भारत
हिमाचल प्रदेश गौण खनिज (रियायत) एवं खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण) नियम, 2015 के तहत अवैध खनन में संलिप्त पाए जाना एक दंडनीय अपराध है जिसमें कारावास की सजा का प्रावधान है, जिसकी अवधि दो वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, या पांच लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों के लगाए जाने का प्रावधान है। इस बारे जानकारी दते हुए उपायुक्त, ऊना राघव शर्मा ने बताया कि जब अवैध खनन की गतिविधियों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है तो खनन के लिए प्रयोग में लाए जा रहे वाहनों, संयंत्रों, जेसीवी, पोक्लेन, एक्सकेवेटर व अन्य मशीनरी को भी कब्जे में लिया जाता है।
उन्होंने बताया कि अब तक जब्त वाहनों, संयंत्रों, जेसीवी, पोक्लेन, एक्सकेवेटर व अन्य मशीनरी को उनके शोरुम मूल्य की 50 प्रतिशत की राशि की अदायगी करने पर पुनः मालिक को सौंपने का प्रावधान था जिससे इन्हें छोड़े जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
एनजीटी द्वारा अवैध खनन की गतिविधियां में संलिप्त जब्त वाहनों को छोड़ने को लेकर जुर्माने के रेट निर्धारित किए गए हे। डीसी ने बताया कि पांच साल के कम पुराने और 25 लाख रुपये से अधिक की शोरुम कीमत वाले वाहनों व यंत्रों का अवैघ खनन में संलिप्त पाए जाने पर 4 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा जबकि यदि यह वाहन या उपकरण 5 वर्ष से ज्यादा और 10 वर्ष से कम पुराने हों तो उन पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यदि 10 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों व यंत्रों का अवैध खनन में प्रयोग करने पर 2 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया है।उन्होंने बताया कि जब्त वाहनों, संयंत्रों, जेसीवी, पोक्लेन, एक्सकेवेटर व अन्य मशीनरी को एनजीटी द्वारा नई दरों के जुर्माने की अदायगी पर छोड़ा जाएगा।
उन्होंने बताया कि यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा इस तरह की गतिविधि को दोहराया जाता है तो अवैध खनन में प्रयोग किए गए वाहनांे व अन्य संयंत्रों को छुड़ाने के लिए 5 अप्रैल, 2019 के आदेशों के आधार पर ही जुर्माना अदा करना होगा यानि शोरुम कीमत का 50 प्रतिशत।
उन्होंने बताया कि जब्त करने के एक माह के भीतर वाहन एवं संयंत्र मालिक द्वारा यदि उन्हें छुड़ाने के लिए कार्यवाही नहीं की जाती है तो वाहन व संयंत्रों को नीलाम करने की कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।