मुंबई / 09 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत /
टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार रात लगभग 11 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु की सूचना सबसे पहले उद्योगपति हर्ष गोयनका ने दी, जिन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे। रतन टाटा को ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार का प्रतीक माना जाता था।रात करीब 2 बजे उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से उनके घर ले जाया गया। उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ सम्पन्न किया जाएगा।
पार्थिव शरीर को गुरुवार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में रखा जाएगा, जहाँ लोग उन्हें अंतिम बार देख सकेंगे।रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर हुआ। वे टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे। उनका जीवन संघर्ष और समर्पण से भरा रहा। उनके माता-पिता बचपन में ही अलग हो गए थे, और उनकी दादी ने उनकी परवरिश की। 1991 में उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया, जहाँ उन्होंने समूह को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।हाल ही में, 7 अक्टूबर को उन्हें ICU में भर्ती किया गया था, लेकिन उन्होंने मीडिया को बताया था कि वे रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल गए हैं और उनकी तबीयत ठीक है। हालांकि, उनके निधन की खबर ने सभी को झकझोर दिया।
रतन टाटा का निजी जीवन भी रोचक था। उन्होंने चार बार शादी होते-होते रह गई। एक बार तो उनकी शादी तय हो गई थी, लेकिन उनकी दादी ने उन्हें अचानक फोन करके वापस बुला लिया, और उसी समय भारत-चीन युद्ध छिड़ गया, जिससे उनकी शादी नहीं हो सकी।वे बुक लवर थे और सफलताओं की कहानियाँ पढ़ना पसंद करते थे। एक बार उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद वे इस शौक को समय देंगे। उनका व्यक्तित्व बेहद सरल और गंभीर था, और वे बचपन से ही कम बातें करते थे।संगीत के प्रति उनकी रुचि भी उल्लेखनीय थी।
रतन टाटा को 60-70 के दशक के गाने सुनना पसंद था। उन्होंने एक बार कहा था, “मुझे बड़ी संतोषजनक होगी अगर मैं शास्त्रीय संगीत बजा पाऊं। शॉपेन, बिथोवन और चेकोस्की उनकी पसंदीदा कृतियाँ थीं। कारों के प्रति उनका लगाव भी विशेष था। उन्होंने कहा, मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक है। मैं उन्हें इसलिए खरीदता हूं ताकि उनकी स्टाइलिंग और मैकेनिज्म को समझ सकूं। रतन टाटा का जीवन उनके कार्यों, विचारों और परोपकार के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। उनका निधन न केवल टाटा समूह, बल्कि समस्त उद्योग जगत के लिए एक बड़ा नुकसान है। उनके योगदान और नेतृत्व ने न केवल व्यवसायिक दुनिया में बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने का काम किया। हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके कार्यों को सदा याद रखेंगे।