December 22, 2024

पंजाब पुलिस ने गुरप्रीत सिंह हरी नौ हत्या कांड की गुत्थी  सुलझाई

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चंडीगढ़ / 18 अक्टूबर / नीरज बाली /

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के दिशा-निर्देशों पर पंजाब को सुरक्षित राज्य बनाने के लिए चलाई जा रही मुहिम के दौरान महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए पंजाब पुलिस ने गुरप्रीत सिंह हरी नौ उर्फ भोड़ी के हत्या कांड के मास्टरमाइंड  गैंगस्टर से आतंकवादी बने बने अरशदीप सिंह उर्फ अरश डल्ला के तीन सदस्यों को गिरफ्तार करके इस हत्या कांड की गुत्थी सुलझा ली है। यह जानकारी आज यहां पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने दी।

डीजीपी आज यहां पुलिस मुख्यालय में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (आईजीपी) मुख्यालय डॉ. सुखचैन सिंह गिल, डीआईजी फरीदकोट रेंज अश्वनी कपूर और एसएसपी फरीदकोट डॉ. प्रग्या जैन के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान बिलाल अहमद उर्फ फौजी, गुरमरदीप सिंह उर्फ पोंटू और अरशदीप सिंह उर्फ झंडू के रूप में हुई है।

जानकारी के अनुसार, 9 अक्टूबर 2024 को गुरप्रीत सिंह हरी नौ उर्फ भोड़ी का उस समय गोलियों से हत्या कर दिया गया जब वह अपनी मोटरसाइकिल हीरो स्प्लेंडर (रजिस्ट्रेशन नंबर पी.बी-04यू-3258) पर गांव के गुरुद्वारे से घर लौट रहा था।

डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि जांच के दौरान यह सामने आया है कि गुरप्रीत सिंह के हत्या का मास्टरमाइंड विदेश आधारित गैंगस्टर अरश डल्ला और अन्य व्यक्ति हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में रेकी करने और हत्या को अंजाम देने के लिए विदेश आधारित विभिन्न संचालकों के अलग-अलग मॉड्यूल का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने बताया कि अपराधियों द्वारा साजिश को छुपाने के लिए विभिन्न मॉड्यूलों को विभिन्न काम सौंपे गए थे।

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीनों व्यक्ति रेकी करने वाले मॉड्यूल का हिस्सा थे, जिसका संचालन कनाडा आधारित करमवीर सिंह उर्फ गोरा द्वारा किया जा रहा था। रेकी करने वाले मॉड्यूल ने अपने संचालकों और विभिन्न मॉड्यूलों के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी शूटर मॉड्यूल को दी।

डीजीपी ने कहा कि शूटर मॉड्यूल के सदस्यों की पहचान कर ली गई है और पुलिस टीमें उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही हैं।

डीजीपी ने बताया कि जांच के दौरान ऐसे सबूत मिले हैं जो हत्या की साजिश में ‘वारिस पंजाब दे’ (डब्ल्यू.पी.डी.) के मुखिया अमृतपाल सिंह की भूमिका को दर्शाते हैं। जांच के दौरान दर्ज किए गए कुछ बयानों के अनुसार यह हत्या अमृतपाल सिंह के इशारे पर की गई थी।

डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि पुलिस द्वारा अपराध के सभी पहलुओं की सबूतों के आधार पर पेशेवर ढंग से कानून के अनुसार जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान सामने आने वाले सभी व्यक्तियों की आपराधिक भूमिका उपलब्ध सबूतों के आधार पर निर्धारित की जाएगी।

ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए डीजीपी ने बताया कि तुंरत कार्रवाई करते हुए, फरीदकोट जिला पुलिस और राज्य विशेष ऑपरेशन सेल के अधिकारियों वाली विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) गठित की गई है और विभिन्न टीमों को वारदात वाली जगह की जांच करने और भौतिक व डिजिटल सबूत एकत्र करने का काम सौंपा गया।

उन्होंने बताया कि वारदात वाली जगह पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई और हमलावरों के आने-जाने के रास्ते का पता लगाने के लिए सीसीटीवी के अगल-बगल के लिंकज की पैरवी करने के लिए टीमें तैनात की गईं थी। डीजीपी ने बताया कि फरीदकोट जिला पुलिस ने बारीकी से जांच करते हुए 125 किलोमीटर के घेरे में सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया, जिससे पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों का पता लगाने और लीड विकसित करने में मदद मिली।

डीजीपी ने बताया कि रणनीतिक स्थलों पर मोबाइल टावर के माध्यम से रिकॉर्ड प्राप्त किया गया और इसकी व्यापक डेटा विश्लेषण साधनों के माध्यम से जांच की गई। उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में लोगों से पूछताछ की गई। खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों के साथ संपर्क स्थापित किया गया।

जांच के दौरान अन्य व्यक्तियों को निशाना बनाने संबंधी व्यापक साजिश के बारे में भी जानकारी मिली है और इस संबंध में जांच की जा रही है। डीजीपी ने दोहराया कि पंजाब पुलिस इस मामले की बहुत गंभीरता से जांच कर रही है और इस साजिश की तह तक पहुँचने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को राज्य की शांति और सद्भावना को भंग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

डीजीपी ने पंजाब पुलिस की पेशेवर ढंग से जांच करने और अपराध में शामिल सभी व्यक्तियों को न्याय के कटघरे में लाने की वचनबद्धता को दोहराते हुए कहा कि इस मामले की जांच जारी है और जल्द ही अन्य गिरफ्तारियों की संभावना है।

इस संबंध में एफआईआर नंबर 159 दिनांक 10-10-2024 को थाना कोटकपुरा में भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (1), 126 (2) और 3 (5) तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत पहले ही मामला दर्ज किया गया है।

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