राष्ट्रपति ने कहा आपातकाल, संविधान पर सीधा हमला, काला अध्याय
नई दिल्ली / 27 जून / न्यू सुपर भारत
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में मोदी सरकार की पिछले दस साल की उपलब्धियों का परिचय दिया और पेपर लीक और ईवीएम पर सवाल उठाने जैसे मुद्दों पर विपक्ष को सुझाव भी दिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आपातकाल को संविधान पर सबसे बड़ा हमला बताया.
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है।भारत का संविधान, बीते दशकों में हर चुनौती, हर कसौटी पर खरा उतरा है। जब संविधान बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं, जो भारत के असफल होने की कामना कर रही थीं। देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए। आज 27 जून है। 25 जून, 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था। लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त करके दिखाया क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं।
मेरी सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। अब भारत के उस भूभाग, हमारे जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है, जहां आर्टिकल 370 की वजह से स्थितियां कुछ और थीं।
हमारी सफलताएं हमारी साझी धरोहर हैं। इसलिए, उन्हें अपनाने में संकोच नहीं स्वाभिमान होना चाहिए। आज अनेक सेक्टर्स में भारत बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। ये उपलब्धियां हमें हमारी प्रगति और सफलताओं पर गर्व करने के अपार अवसर देती हैं। जब भारत डिजिटल पेमेंट्स के मामले में दुनिया में अच्छा प्रदर्शन करता है, तो हमें गर्व होना चाहिए। जब भारत के वैज्ञानिक, चंद्रयान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता से उतारते हैं, तो हमें गर्व होना चाहिए।
जब भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती इकॉनॉमी बनता है, तो हमें गर्व होना चाहिए। जब भारत, इतना बड़ा चुनाव अभियान, बिना बड़ी हिंसा और अराजकता के पूरा कराए, तो भी हमें गर्व होना चाहिए। आज पूरा विश्व हमें मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में सम्मान देता है। भारत के लोगों ने हमेशा लोकतंत्र के प्रति अपना पूर्ण विश्वास प्रकट किया है, चुनाव से जुड़ी संस्थाओं पर पूरा भरोसा जताया है। स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए हमें इस विश्वास को सहेज कर रखना है, इसकी रक्षा करनी है।हमें याद रखना होगा, लोकतांत्रिक संस्थाओं और चुनावी प्रक्रिया पर लोगों के विश्वास को चोट पहुंचाना उसी डाल को काटने जैसा है जिस पर हम सब बैठे हैं।हमारे लोकतंत्र की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने की हर कोशिश की सामूहिक आलोचना होनी चाहिए।
हम सभी को वो दौर याद है जब बैलट पेपर छीन लिया जाता था, लूट लिया जाता था। मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए ईवीएम को अपनाने का फैसला किया गया था। पिछले कई दशकों में ईवीएम ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर जनता की अदालत तक हर कसौटी को पार किया है।