पंचायतों में बढ़ते प्लास्टिक के कूड़े और पर्यावरण को हो रहे नुक्सान को रोकने के लिए प्रधान तैयार करें अपनी कार्य योजना- उपायुक्त
उपायुक्त ने जिले के सभी पंचायत प्रधानों को भेजा पत्र, कहा सरकार की प्लास्टिक खरीद योजना को लागू किया जाए
75 रुपए प्रति किलो खरीदा जाता है पुन: चक्रित न हो सकने वाला प्लास्टिक
चंबा / 09 मार्च / न्यू सुपर भारत
प्लास्टिक के उपयोग और उसके द्वारा पैदा होने वाले कूड़े का निष्पादन एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है। समस्या के समाधान को लेकर हिमाचल प्रदेश और केन्द्र सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन आम जनमानस में जागरूकता की कमी के चलते अभी भी इस समस्या से पूरी तरह से निजात नहीं मिल पाई है। उपायुक्त डीसी राणा ने जिला के सभी नवनिर्वाचित पंचायत प्रधानों को पत्र भेजकर उनसे अपनी-अपनी पंचायतों में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण व शहरी) के कार्यान्वयन के साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की नियमित निगरानी के अलावा प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड द्वारा भी अब स्थानीय निकायों द्वारा लागू नियमों की अनुपालना के लिए औचक निरीक्षण में बढ़ोतरी की जाएगी। उन्होंने ये भी कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो खास पहल की हैं ताकि प्लास्टिक की समस्या का स्थाई समाधान सुनिश्चित हो सके।
प्रदेश में पॉलीथीन के थैलों पर पूर्ण प्रतिबंध है। सरकार ने 2 अक्टूबर, 2019 को और इसके बाद भी प्लास्टिक और थर्मोकोल से बने प्लेट, ग्लास, चम्मच, कटोरी इत्यादि पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाया है। इनके उपयोग पर लगने वाले जुर्माने और प्रतिबंधित सामग्री की सूची के साथ अपील की एक प्रति भी पत्र के साथ संलग्न की गई है।उपायुक्त ने पंचायत प्रधान का आह्वान करते हुए कहा है कि अपनी पंचायत में प्लास्टिक का उपयोग न करें और न ही किसी को करने दें। जन सहभागिता से ही पंचायतों में पर्यावरण को होने वाले नुक्सान और बढ़ते प्लास्टिक के कूड़े पर रोक लगाने में कामयाब हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा शुरू की गई एक बार प्रयोग होने यानि पुन: चक्रित न हो सकने वाले पैकेजिंग प्लास्टिक की खरीद योजना पर न्यूनतम समर्थन खरीद मूल्य 75 रूपये प्रति किलोग्राम तय किया गया है।
प्रधान अपनी पंचायत के लोगों से ब्रेड, केक, बिस्कुट, नमकीन, कुरकुरे, चिप्स, वेफर्स कैंडीज़, गद्दे, कपड़े, पनीर, पफ्स, आइसक्रीम, आइसक्रीम कैंडीज, नूडल्स, अनाज, कॉर्न फ्लेक्स और ब्रेकफास्ट से जुड़ी चीजों के पैकेजिंग में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक कचरे को 75 रूपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद कर इस मुहिम में अपना योगदान सुनिश्चित करें ताकि कूड़े की समस्या से निजात पाई जा सके। योजना के तहत जिस प्लास्टिक कचरे को नहीं खरीदा जाता है उसमें प्लास्टिक फर्नीचर, रसोई के बर्तन, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक व विद्युत अपशिष्ट जैसे भारी प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थ, पैट बोतलें, दवा, मिनरल वाटर की बोतलें, बाल्टी, मग, बायोमेडिकल वेस्ट बोतलें, प्लास्टिक डिब्बे, प्लास्टिक क्रॉकरी, जार, टिफिन, टॉयलेट यूटिलिटी वेस्ट आइटम शामिल हैं।