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15 अगस्त 2020 को प्रारंभ किए गए नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत किया गया 272 जिलों को लक्षित

अम्बाला / 22 फरवरी / न्यू सुपर भारत

केन्द्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता एवं जल शक्ति राज्यमंत्री रत्नलाला क टारिया ने पे्रस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक वर्ष महात्मा गांधी की जयंती नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को समाप्त करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के सम्मान में, राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के रूप में मनायी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बार-बार नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के जोखिमों को उजागर करते हुए कहा है कि यह एक खतरनाक बीमारी है जो किसी व्यक्ति को अपने जाल में फसाकर उसके लिए दुषचक्र बन जाती है। यह आदत शराब से शुरू होकर निकोटिन और गांजा से होते हुए अत्यधिक नशीले पदार्थों जैसे कोकिन, एमडीएमई आदि तक पहुंच जाती है।


श्री कटारिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में नशा मुक्त भारत अभियान एक अनूठी पहल है। जिसके अंतर्गत नशीली दवा के दुरुपयोग से उपजी अनेक बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 2020 को प्रारंभ किए गए नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत 272 जिलों को लक्षित किया गया है जिन्हें सरकार द्वारा एकत्र सूचनाओं के आधार पर अत्यधिक संवेदनशील माना गया है। युवाओं पर नशीली दवा के दुरुपयोग के अत्यधिक बुरे प्रभाव को देखते हुए, इस अभियान के अंतर्गत स्कूलों, उच्चतर शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालय परिसरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

साथ ही एनएसएस, एनवाईकेएस, एनसीसी जैसे युवा समूहों को लक्षित जनसंख्या तक पहुंचने के लिए जोड़ा गया है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री का संदेश नशीले पदार्थ सेहत के लिए अच्छे नहीं होते, चैनलों के माध्यम से जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा है।


उन्होनें कहा कि स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से व्यसनियों की पहचान, उपचार और पुनर्वास करने के लिए समुदाय आधारित सेवाएं प्रदान करने में सफ ल हुए हैं। सरकार नशामुक्ति केन्द्र संचालित करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। नशीली दवा का दुरुपयोग करने वाले पीडि़तों व उनके परिवारों और समाज के बड़े वर्ग को सहायता प्रदान करने के लिए 24 घंटे सातों दिन राष्ट्रीय टोल फ्र ी हेल्पलाइन, जो विशेष रूप से लॉक डाउन के दौरान बहुत उपयोगी साबित हुई, स्थापित की गई है।

आउटरीच और ड्राप इन सेन्टर (ओडीआईसी) जो नशीली दवा का दुरुपयोग करने वाले व्यक्तियों के लिए सुरक्षित केन्द्र हैं, में परामर्श देने, मूल्यांकन करने, स्क्रीनिंग करने की व्यवस्था के साथ स्थापित किए जा रहे हैं। इन सुविधाओं के अतिरिक्त विभिन्न आश्रितों के लिए पुनर्वास और उपचार सेवाओं हेतु रेफ रल और लिंकेज सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं।  


राज्यमंत्री ने कहा कि इस तथ्य को संज्ञान में रखते हुए कि नशीली दवा के दुरुपयोग की समस्या को हल करने के लिए सरकार के विभिन्न स्तरों पर ठोस कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को अपनी स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाने और विशेष प्रयास करने तथा अपने क्षेत्रों में नशीली दवा की मांग में कटौती करने के लिए विशिष्ट और उपयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए कहा है।  तदनुसार नशामुक्त भारत अभियान की गति और प्रभाविकता को बनाए रखने की दृष्टि से जिला स्तरीय समितियों के रूप में एक विकेन्द्रीकृत निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है।  


इस सामाजिक बुराई को दूर करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता इस बात से स्पष्ट होती है कि सरकार ने वर्ष 2017-18 में किए मात्र 49 करोड़ रुपए के परिव्यय को बढ़ाकर 260 करोड़ रुपए किया है।  मंत्रालय शिक्षा, नशामुक्ति और पुनर्वास संबंधी बहुपक्षीय दृष्टिकोण के माध्यम से नशीली दवा के दुरुपयोग को कम करने के लिए वर्ष 2018-2025 के लिए नशीली दवा की मांग में कटौती करने संबंधी एक व्यापक राष्ट्रीय कार्य योजना को कार्यान्वित कर रहा है।  यह कार्यक्रम गति पकड़ रहा है और यह मिशन धीरे-धीरे एक सामाजिक अभियान के रूप में बदलता जा रहा है जिसमें युवा वर्ग और समाज का बहुत बड़ा हिस्सा शामिल है।


उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि सरकार, समाज और स्वैच्छिक संगठनों के कठिन परिश्रम, प्रतिबद्धता और ठोस प्रयासों के परिणाम स्वरूप हम आगामी 26 जून को सही ढंग से नशीली दवा दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस को आयोजित कर पाएंगे और आने वाले वर्षों में समाज को नशे से पूर्णरूप से मुक्त करने की दिशा में महात्मा गांधी के सपने को साकार कर पाएंगे। 

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