देशहित में मोदी सरकार द्वारा लागू हर सुधारों के विरोधी आज अप्रासंगिक: अनुराग ठाकुर
नई दिल्ली / शिमला / 29 सितम्बर / राजन चब्बा
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा देश हित में लिए गए सभी फ़ैसलों और लागू किए गये हर सुधारों का विरोध करने वालों की प्रासंगिकता ख़त्म होने की बात कही है।
श्री अनुराग ठाकुर ने कहा”पिछले 6 वर्षों से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी देशहित में कड़े फ़ैसलों और बड़े सुधारों के ज़रिए देश की बहुसंख्यक जनता के हितों की रक्षा के लिए कार्यरत हैं। गरीब, किसान और मज़दूर का उत्थान मोदी जी की प्राथमिकता है और इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार अन्नदाता की आय दुगुनी करने, फसलों का सही मूल्य दिलाने, कृषि को तकनीकी से जोड़ने के लिए नया किसान क़ानून लेकर आई है।मगर कांग्रेस पार्टी की विडम्बना यही है कि देश और देशवासियों को सशक्त करने के किए मोदी जी द्वारा उठाए गए हर कदम का विरोध करना इनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल इन किसान कल्याणकारी बिलों का अनुचित विरोध करके किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। जिन सामानों की उपकरणों की किसान पूजा करता है, किसान जिस ट्रैक्टर से खेत जोतकर धरती से सोना निकालता है, देश का पेट भरता है उसे जलाकर ये ना सिर्फ़ किसानों को अपमानित कर रहे हैं बल्कि अपनी प्रासंगिकता को भी खो रहे हैं।”
आगे बोलते हुए श्री अनुराग ठाकुर ने कहा ”यह पहली बार नहीं है जब अपने निजी स्वार्थ के लिए कांग्रेस समेत विपक्षी दल कृषि सुधारों का विरोध कर रहे हैं। अनुच्छेद 370 व 35 ए, सीएए, डिजिटल भारत अभियान, जन धन योजना, जीएसटी, वन रैंक- वन पेंशन, राफेललड़ाकू विमान, सर्जिकल स्ट्राइक, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, स्टेचू ऑफ यूनिटी, गरीबों सवर्णों को 10% आरक्षणराम मंदिर निर्माण का भी इन्होंने पुरज़ोर विरोध किया परंतु देश की जनता ने इन्हें हर अवसर पर बता दिया कि वो किसके साथ है। आज जब केंद्र सरकार किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं।ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए। ये लोग न किसान के साथ हैं, न नौजवानों के साथ और न वीर जवानों के साथ हैं।मोदी सरकार ने जब वन रैंक वन पेंशन का लाभ सैनिकों को दिया तो उन्होंने इसका भी विरोध किया क्योंकि इनके लिए स्वहित राष्ट्रहित से ऊपर है।”