November 23, 2024

ज़ोज़िला टनल पर काम शुरू – यह एशिया की होगी सबसे लंबी टनल रोड ***यह टनल एनएच-1 पर श्रीनगर घाटी और लेह के बीच सभी मौसम में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करेगी

0

नई दिल्ली / 15 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़

जम्मू कश्मीर ज़ोज़िला टनल पर आज एक आयोजन में विस्फोट के बाद निर्माण का कार्य शुरू हो गया। एनएच-1 पर इस बनने वाली इस टनल से श्रीनगर घाटी और लेह के बीच (लद्दाख पठार में) सभी मौसम में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा। अवलांच रोधी इस ढांचे के निर्माण से जम्मू कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। द्रास और कारगिल के रास्ते श्रीनगर तथा लेह को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर 14.15 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का निर्माण 3000 मीटर की ऊंचाई पर ज़ोज़िला पास के नीचे किया जाएगा। वर्तमान में इस रास्ते पर केवल 6 महीने ही आवागमन हो सकता है। यह मार्ग वाहन चलाने के संदर्भ में दुनिया के सबसे खतरनाक रस्तों में से एक है। साथ ही यह परियोजना रणनीतिक रूप से संवेदनशील है।

इस परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले 2005 में की गई थी और इसके संबंध में बीआरओ द्वारा बीओटी (एन्यूइटी) मोड पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 2013 में तैयार की गई थी। लेकिन परियोजना पर काम शुरू करने के लिए ठेके देने के लिए गए चार प्रयास सफल नहीं हो सके थे। आखिरकार जुलाई 2016 में इस परियोजना पर निर्माण का दायित्व एनएचआईडीसीएल को सौंपा गया, जिस पर क्रियान्वयन ईपीसी मोड से होना है। इसका काम मेसर्स आईटीएनएल (आईएल&एफ़एस) को दिया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लेह में इसकी आधारशिला रखी थी और इस पर 19.5.2018 को काम शुरू हुआ था। निर्माण कार्य जुलाई 2019 तक जारी रहा लेकिन उसके बाद मेसर्स आईएल&एफ़एस के सामने उपजे वित्तीय संकट के चलते काम फिर से बंद होगा गया। अतः 15.01.2019 को अनुबंध समाप्त कर दिया।

उसके उपरांत फरवरी 2020 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने इस परियोजना की विस्तृत समीक्षा की। इस परियोजना की लागत कम करने और इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए यह मामला एक विशेषज्ञ समूह को सौंपा गया, जिसकी अध्यक्षता सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में डीजी (आरडी)&एसएस श्री आई के पांडे कर रहे थे। विशेषज्ञ समूह ने परियोजना को कम से कम समय और कम लागत में पूरा करने के सभी उपयुक्त और उपलब्ध विकल्पों के सुझाव दिए।

विशेषज्ञ समूह ने टनल विशेषज्ञों और अन्य संबन्धित पक्षों से व्यापक परामर्श के बाद 17.5.2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिस पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने 23.05.2020 को अपनी मंजूरी दी। इस रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  1. एक ट्यूब के टनल में दो लेन के बाई-डाइरेक्शनल मार्ग का निर्माण जिसमें आपातकाल के लिए समानान्तर मार्ग शामिल नहीं होगा।
  2. निर्माण शाफ्ट को घटाकर 3 से 2 करना।
  3. टनल में गति की डिज़ाइन 80 किमी प्रति घंटा होना।
  4. 18 किमी लंबी सड़क को जोड़ना (सड़क की कुल लंबाई 12 किमी) जो ज़ेड-मोड़ टनल के आखिर से ज़ोज़िला टनल के आरंभिक बिन्दु के बीच होगी, जिसमें अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गॅलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम इत्यादि शामिल होंगे। इससे दोनों टनलों के बीच सभी मौसम में संपर्क सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  5. संशोधित लागत 4429.83 करोड़ रुपये होगी और जहां वर्तमान यात्रा समय 3.5 घंटे है वह इस टनल के निर्माण से घटकर महज़ 15 मिनट हो जाएगा।
  6. ज़ेड मोड़ से ज़ोज़िला तक सभी मौसम में संपर्क के लिए अवलांच रोधी ज़ोज़िला टनल परियोजना की शुरुआत
मुख्य विशेषताएँ
लंबाईज़ोज़िला टनल की लंबाई = 14.15 किमी और संपर्क मार्ग की लंबाई = 18.63 किमी। परियोजना की कुल लंबाई 32.78 किमी
कार्य का फैलावबलताल और मीनामार्ग के बीच 14.150 किमी लंबी बाई-डाइरेक्शनल टनल जिसमें बचाव मार्ग नहीं होगा।ज़ेड-मोड़ टनल और ज़ोज़िला टनल को जोड़ने वाला 18.63 किमी लंबा संपर्क मार्ग, जिसमें 433 मीटर और 1958 मीटर के दो छोटे टनल भी शामिल होंगे। सड़क की कुल लंबाई 12 किमी होगी।सड़क सुरक्षा और अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गॅलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम इत्यादि शामिल होंगे।
निर्माण अवधिज़ोज़िला टनल = 6 वर्षसंपर्क मार्ग  = 2.5 वर्ष

मंत्रालय की स्वीकृति के बाद एनएचआईडीसीएल ने 10.6.2020 को निविदा आमंत्रित की। सभी तीनों बोली कर्ताओं के तकनीकि योग्यता का परीक्षण करने के उपरांत 21.8.2020 को वित्तीय बोलियाँ खुलीं और परियोजना का आवंटन मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड स्ट्रक्चर लिमिटेड की बोली स्वीकार की गई जिसमें 4509.50 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। 25.08.2020 को मंजूरी पत्र जारी किया गया।

ज़ोज़िला टनल और ज़ेड-मोड़ टनल को जोड़ने वाले 18.63 किमी लंबे संपर्क मार्ग को सभी मौसम में कार्यशील बनाने हेतु इस पर डीपीआर के अनुसार कुल 2335 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इससे पहले एनएचआईडीसीएल द्वारा ज़ोज़िला टनल पर 6575.85 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान था और प्रतिवर्ष 5% की लागत वृद्धि से परियोजना की कुल पूंजी लागत 8308 करोड़ रुपये तक होने की संभावना थी। अतः ज़ोज़िला टनल और ज़ेड-मोड टनल तक संपर्क मार्ग के लिए एकीकृत लागत 10643 करोड़ रुपये अनुमानित थी। इसकी तुलना में वर्तमान में प्राप्त हुई बोली 4509.5 करोड़ रुपये के आधार पर एकीकृत परियोजना में कुल पूंजी लागत होगी 6808.63 करोड़ रुपये होगी। अतः संशोधित कार्य प्रारूप से न सिर्फ इस परियोजना के खटाई में पड़ने को टाला गया बल्कि इससे 3835 करोड़ रुपये की बचत का भी अनुमान है।

परियोजना का महत्व:

(i)  ज़ोज़िला टनल के निर्माण से श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह क्षेत्र में सभी मौसम में सुरक्षित संपर्क सुनिश्चित होगा। हर मौसम में इस क्षेत्र में सुरक्षित संपर्क रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

 (ii) जोजिला टनल के निर्माण से क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह क्षेत्र सर्दियों के मौसम में लगभग 6 महीनों के लिए भारी बर्फबारी के कारण देश के अन्य भागों से कट जाता है।

(iii) ज़ोज़िला क्षेत्र में पूरे साल संपर्क सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान में टनल ही सबसे मुफीद विकल्प है। जिस समय यह टनल बनकर तैयार होगी, आधुनिक भारत के इतिहास में यह एक मील का पत्थर स्थापित करने वाली उपलब्धि बनेगी। लद्दाख, गिलगित और बालटिस्तान  की सीमाओं पर भारी सैन्य गतिविधियों के चलते देश की रक्षा रणनीति के क्षेत्र में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान होगा।

(iv) ज़ोज़िला टनल परियोजना कारगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की 30 वर्ष पुरानी मांग का सुफल है।

(v) इस परियोजना के पूर्ण होने पर एनएच-1 के श्रीनगर-कारगिल-लेह खंड पर अवलांच मुक्त यात्रा सुनिश्चित होगी।

(vi) यह परियोजना न सिर्फ ज़ोज़िला पास से गुजरने वाले यात्रियों की सुरक्शित यात्रा सुनिश्चित करेगी बल्कि वर्तमान में यात्रा में लगने वाले 3 घंटे को घटाकर 15 मिनट कर देगी।

vii.   इस परियोजना से स्थानीय स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

ज़ोज़िला टनल की सुरक्षा विशेषताएँ:

  1. प्रत्येक 750 मीटर पर आपातकालीन स्थिति में ठहरने के लिए सुरक्षित स्थान होगा, जिसे मार्ग के दोनों ओर बनाया जाएगा। मार्ग के दोनों ओर पैदल चलने के लिए भी रस्तों का निर्माण किया जाएगा। आपातकालीन स्थिति के लिए फोन और आग बुझाने का प्रबंध प्रत्येक 125 मीटर पर उपलब्ध रहेगा।
  2. मैनुअल फायर अलार्म और पोर्टेबल आग बुझाने का यंत्र सभी वाहन चालकों के पास होना चाहिए।
  3. आपातकालीन स्थिति के लिए टेलीफोन स्थापित किए जाएंगे।
  4. फायर हाइड्राण्ट, हाइड्राण्ट नीचेज़ और फायर एक्स्टिंगीशर स्थापित किए जाएंगे।
  5. टनल में प्रकाश की व्यवस्था: किसी टनल में सुरक्षित आवागमन में प्रकाश की व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण होती है इसलिए निम्नलिखित आवश्यकताओं का पूर्ण होना ज़रूरी है:
  6. प्रवेश स्थल पर प्रकाश का प्रबंध (टनल के दोनों छोरों पर)
  7. टनल के अंदर प्रकाश का प्रबंध (सम्पूर्ण टनल में प्रकाश)
  8. सुरक्षित खड़े होने के स्थल पर प्रकाश

6. वीडियो निगरानी व्यवस्था

  • सीसीटीवी-कैमरा: टनल में दीवारों पर निगरानी कैमरे स्थापित किए जाने चाहिए और टनल के पहले और टनल के बाद के मार्ग खंड पर कैमरे खंभों पर लगे होने चाहिए। कैमरे से लिए जाने वाले वीडियो सम्प्रेषण लाइन के माध्यम से प्रसारित होनी चाहिए। इसकी स्थापन का उद्देश्य पूर्ण करने हेतु ट्रांसीवर्स और मीडिया कन्वर्टर रखे जाने चाहिए।
  1. भवनों में फायर अलार्म सिस्टम
  2. टनल में आग को पहचानने और उसे बुझाने का स्वचालित सिस्टम लगा होना चाहिए।
  3. लीनियर हीट डिटेक्शन      सिस्टम एससीएडीए के अपनी नियंत्रण व्यवस्था से जुड़ा होना चाहिए।
  4. आपातकालीन टेलीफोन बूथ

ईयू मानकों के अनुसार टनल के दोनों ओर 125 मीटर से कम की दूरी पर तथा सुरक्षित ठहरने के स्थान पर आपातकालीन स्थिति के लिए टेलीफोन बूथ लगे होने चाहिए। आपातकालीन केन्द्रों पर निम्नलिखित उपकरण होने चाहिए:

  • फायर अलार्म पुश बटन
  • फायर इक्स्टिंगग्विशर

10. केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के द्वारा यातायात नियंत्रण व्यवस्था

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *