नेरचौक हो या टांडा, लगातार दिन-रात गाड़ी दौड़ाते रहे कृष्ण
हमीरपुर / 19 जून / न्यू सुपर भारत
कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान कई जिलावासियों ने अपने परिजनों को खोया है। संक्रमण से मौत के बाद शवों को अस्पताल से लाना और उन्हें श्मशान घाट तक पहुंचाना इन मृतकों के परिजनों के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी।
एक ओर अपनों के इस दुनिया से चले जाने का गम तो दूसरी ओर कोरोना संक्रमण का खतरा। अगर मृतक के परिजन स्वयं भी संक्रमित हों तो फिर मुश्किलें और भी बढ़ जाती थीं। कोरोनाकाल में ऐसे लोगों को जिला रैडक्रॉस सोसाइटी के वाहन के माध्यम से बहुत बड़ी राहत प्रदान की जा रही है।
नवंबर 2020 से यह वाहन लगातार अपनी सेवाएं दे रहा है और इसके चालक कृष्ण चंद संक्रमण के खतरे की परवाह न करते हुए दिन-रात एक कोरोना योद्धा की तरह कार्य कर रहे हैं। वह अभी तक टांडा, नेरचौक और हमीरपुर के अस्पतालों से 102 कोरोना संक्रमित मृतकों के शवों को परिजनों तक पहुंचा चुके हैं।
दरअसल, जिला रैडक्रॉस सोसाइटी की गाड़ी नंबर एचपी 22 सी 1215 पिछले वर्ष मई महीने से कोरोना संबंधी आवश्यक प्रबंधों, डॉक्टरों तथा स्वास्थ्य कर्मचारियों की टीमों को लाने तथा ले जाने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के साथ अटैच की गई थी।
लेकिन, जिला में कोरोना से मौतों का आंकड़ा बढऩे लगा तथा शवों को लाने में कई दिक्कतें आने लगीं तो रैडक्रॉस सोसाइटी की इस गाड़ी को शव वाहन में बदलना पड़ा तथा यह गाड़ी 26 नवंबर 2020 से शव वाहन के रूप में ही दौडऩे लगी। केवल शव लाने के लिए यह गाड़ी लगभग 7800 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है।
उपायुक्त एवं जिला रैडक्रॉस सोसाइटी की अध्यक्ष देबश्वेता बनिक ने बताया कि कोरोना संक्रमित मृतकों के शवों को अस्पताल से लाने के लिए रैडक्रॉस सोसाइटी निशुल्क वाहन उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना की पहली लहर के दौरान मृतकों के शवों को लाने में कई दिक्कतें सामने आ रहीं थीं।
कोई भी टैक्सी या अन्य वाहन चालक कोरोना संक्रमितों के शवों को लाने के लिए तैयार नहीं होता था। ऐसी परिस्थितियों में रैडक्रॉस सोसाइटी की गाड़ी को ही शव वाहन बनाना पड़ा और इसके चालक कृष्ण चंद ने बहुत ही सराहनीय सेवाएं प्रदान की हैं। कृष्ण चंद को सोसाइटी की ओर से वेतन के अलावा प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।