गांव रज्जू माजरा के किसानों द्वारा तैयार की गई मशरूम का जायका ले रहे हैं नेपाल
अम्बाला / 12 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत
बदलते परिवेश में फसलों का विविधीकरण जोर पकड रहा है। किसान परम्परागत खेती में बदलाव करते हुए अब फलों, फुलों, सब्जियों, दलहन, तिलहन, मशरूम इत्यादी की खेती की करने लगे है। अब किसानों का प्रति एकड़ में अधिक उत्पादन के साथ साथ प्रति एकड़ में आय की ओर भी रूझान बढऩे लगा है।
नगद फसलों की ओर किसानों को बढ़ता रूझान जहां एक ओर किसानों को समृद्घ कर रहा है, वहीं दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था में भी ऐसे किसानों का प्रेरणादायक योगदान है। वैसे तो प्रदेश में ऐसे कई किसान है जो अन्य किसानों के लिए उदाहरण बन कर उभरे है। इन्ही किसानों में शामिल है गांव रज्जुमाजरा के युवा प्रगतिशील किसान गुरदेव व संदीप। जिनका कहना है कि मशरूम की फार्मिंग करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा बागवानी विभाग के माध्यम से योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, जिसके माध्यम से किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें अनुदान भी दिया जाता है। मशरूम की खेती के लिये गांव रज्जू माजरा में युवा प्रगतिशील किसान गुरदेव व संदीप द्वारा एमआईडीएच (मिशन फॉर इंटीग्रेटिड डिवल्पमैंट ऑफ होर्टीकल्चर) स्कीम का लाभ लेते मशरूम फार्मिंग की जा रही है। इसके लिये इन्होंने प्रोडक्सन यूनिट तथा कम्पोस्ट यूनिट के लिये 20-20 लाख रुपये का ऋण इस स्कीम के माध्यम से लिया है, जिस पर उन्हें 16 लाख रुपये का अनुदान मिला है।
युवा किसान संदीप व गुरदेव ने बताया कि वे लगभग पिछले 11 सालों से मशरूम फार्मिंग कर रहे हैं। पहले वे किराये पर यूनिट लेकर राजपुरा, इस्माईलाबाद, डेराबस्सी में यह काम करते थे। अब उन्होंने गांव रज्जू माजरा में भी राधे मशरूम फार्म नाम से प्रोडक्सन तथा कम्पोस्ट यूनिट लगाई है। उन्होंने बताया कि प्रोडक्सन यूनिट पूरी तरह से एयरकंडीशन है। मशरूम की खेती के लिये यह जरूरी है कि आपको इसकी तकनीक और इसकी फार्मिंग के बारे में पूरी जानकारी हो, जिससे की आप मुनाफा कमा सकें। पूछने पर उन्होंने बताया कि वे बटन व मिल्की मशरूम की फार्मिंग करते हैं जोकि बेहद लाभदायक है।
परम्परागत खेती के स्थान पर अगर किसान मशरूम की खेती को अपनाते हैं तो कम भूमि होने पर भी वे लागत से कईं गुणा मुनाफा कमा सकते हैं। उनके अनुसार उन्होंने लगभग आधा एकड़ खेत में यह यूनिट स्थापित की है और प्रोडक्सन यूनिट में एक बार में 12500 बैग रखने की व्यवस्था है और साल में 4 बार बैग रखे जाते हैं। एक बैग में 10 किलोग्राम कम्पोस्ट तथा बीज रखा जाता है। जिससे दो किलो मशरूम तैयार होती है।
प्रगतिशील किसान गुरदेव और संदीप ने बताया कि उनके यहां तैयार हुई मशरूम चंडीगढ़, अम्बाला, नेपाल, लखनऊ तक जाती है। उन्हें न तो इसके उत्पादन में और न ही इसकी बिक्री में किसी प्रकार की कोई दिक्कत आती है। उनकी यूनिट से ही खरीददार तैयार मशरूम ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी यूनिट में 5 रूम हैं, जिनमें 45 दिन में मशरूम तैयार हो जाती है और 3.5 से 4 क्विंटल मशरूम प्रतिदिन तैयार होती है जिसे 200 ग्राम की डिब्बी में पैक किया जाता है।
इन युवा किसानों ने मशरूम फार्मिंग से न सिर्फ स्वंय के लिये नई खेती की क्षेत्र में शुरूआत कर मुनाफा कमाया है बल्कि 30 से अधिक अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा रहा है। इनकी प्रोडक्सन और कम्पोस्ट यूनिट में कम्पोस्ट तैयार करने से लेकर मशरूम फार्मिंग तथा पैकेजिंग के काम में लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। इस यूनिट से खर्चा निकालकर प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख रुपये की आमदन हो जाती है।
इन प्रगतिशील किसानों का कहना है कि परम्परागत खेती की बजाए अगर किसान मशरूम फार्मिंग की ओर तकनीक के साथ खेती करेंगे तो उन्हें अवश्य लाभ होगा। मशरूम का बीज लगभग 80 रूपये प्रतिकिलो की दर से मिलता है और इसका बीज लैब में तैयार किया जाता है। बीज तैयार करने के लिये जो कल्चर आता है, वह इंग्लैंड और यूरोपीय देशों से आता है। उस कल्चर को लैब में गेहूं, बाजरा या ज्वार पर चढ़ाया जाता है और उसके बाद यह मशरूम का बीज तैयार होता है। वे पौंटा साहिब से यह बीज लेकर आते हैं। कुल मिलाकर फसलों का विविधिकरण जमीन की उपजाउ शक्ति बढाने के साथ-साथ किसानों के लिए भी फायदे का सोदा है।
तूड़े एवं पराली से तैयार की जा रही है कम्पोस्ट:-कम्पोस्ट यूनिट में तूड़े व पराली के द्वारा कम्पोस्ट तैयार की जाती है जोकि ऑर्गेनिक खाद होती है। मशरूम के उत्पादन के बाद इस कम्पोस्ट को किसान बिक्री भी कर सकते हैं या अपने खेत में डालकर उपजाऊ शक्ति भी बढ़ाई जा सकती है यानि इस कम्पोस्ट का रिसाईकिल यूज किया जा सकता है।
कम जमीन में ज्यादा पैसा कमाने के लिये सबसे उत्तम खेती है मशरूम:- जिला बागवानी अधिकारी डा0 अजेश कुमार ने बताया कि किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मशरूम की खेती के लिये यह आवश्यक है कि इसकी तकनीक और इसकी फार्मिंग की पूरी जानकारी किसान को होनी चाहिए। इसकी खेती के लिये यह आवश्यक है कि यूनिट के अंदर का तापमान मेनटेन रहे।
उन्होंने कहा कि किसान मशरूम की खेती के लिये बागवानी विभाग से सम्पर्क कर सकते हंै। एमआईडीएच (मिशन फॉर इंटीग्रेटिड डिवल्पमैंट ऑफ होर्टीकल्चर स्कीम) स्कीम का लाभ लेकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इस स्कीम में 40 प्रतिशत बैंक एडिड सब्सिडी यूनिट लगाने पर दी जाती है। इसी प्रकार शिवालिक स्कीम में 225 रुपये प्रति ट्रे का अनुदान 100 ट्रे तक दिया जाता है तथा एससीएसपी स्कीम में 270 रुपये प्रति ट्रे का अनुदान एससी वर्ग के किसानों को मशरूम फार्मिंग के लिये दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मशरूम कम जमीन में ज्यादा पैसा कमाने के लिये सबसे उत्तम खेती है।