केन्द्रीय राज्यमंत्री रत्नलाल कटारिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय दोगुणा करने की दिशा में क्रमबद्ध रूप से योजनाओं को लागू कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र का विकास करना व किसान के हितों को संरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता है।
*प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा वृद्धि के साथ रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा से विपक्षी राजनैतिक दलों की किसानों को गुमराह करनी वाली आधारहीन राजनीति पर स्वत: ही विराम लग गया है।
नारायणगढ़ / 23 सितम्बर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
केंद्रीय जल शक्ति व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा वृद्धि के साथ रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा से विपक्षी राजनैतिक दलों की किसानों को गुमराह करनी वाली आधारहीन राजनीति पर स्वत: ही विराम लग गया है।
केंद्रीय राज्य मंत्री रत्नलाल कटारिया ने हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस के अवसर पर सभी शहीदों को नमन करते हुए कहा कि शहीदों की शहादत को सदैव याद रखना चाहिए और उनकी जीवनियों से युवा पीढ़ी को अवगत करवाना चाहिए। श्री कटारिया ने पै्रस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में पर्याप्त रूप से वृद्धि की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि किसानों के हितों का सरंक्षण सरकार कि प्राथमिकता है। कृषि क्षेत्र से संबंधित पारित किए गए विधेयकों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाने जैसी किसानों के बीच भ्रांतिया फैला रहे विपक्षी दलों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से स्पष्ट संदेश है कि न्यूनतम समर्थन मूल्यों की प्रणाली पूर्णतया अप्रभावित रहेगी। आज जनता के बीच स्पष्ट हो चुका है कि कृषि क्षेत्र से संबंधित पारित किए गए विधेयकों के बारे में विपक्षी राजनैतिक दल किसानों को अपना राजनैतिक अस्तित्व बचाने के लिए भ्रमित कर रहे हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली पूर्णत: अप्रभावित रहेगी। यह विधेयक राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करता। कृषि उपज विपणन समिति अपना काम पूर्व की भांति करती रहेंगी। यह विधेयक कृषि उपज विपणन समिति परिसर के बहार अतिरिक्त व्यापार की अनुमति देता है। इस विधेयक से किसानों के पास उपलब्ध विकल्पों को परस्पर जोड़ा जा सकेगा। किसान खाद्य उत्पाद कंपनियों के साथ उत्पादन की बिक्री के लिए प्रत्यक्ष समझौतों में प्रवेश कर सकेंगे। विपणन श्रृंखला छोटी होने से उपभोक्ता व किसानों दोनों को लाभ होगा। किसानों की लागत व समय दोनों की बचत होगी व उनकी आय में भी वृद्धि होगी।
केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा कर करार विधेयक, 2020 के अन्तर्गत समझौते से किसानों को फसल के मूल्य गारंटी की सुविधा होगी। किसी कारण से मूल्य भुगतान न होने पर जुर्माने का प्रावधान होगा। प्रत्येक व्यापारी को उसी दिन या अधिकतम तीन दिनों के भीतर किसान को उसका भुगतान करना होगा। वही न्यूनतम समर्थन मूल्य की संरचना पर इस बिल का कोई असर नहीं होगा। यह विधेयक किसानों को एक ऐसा विवाद निवारण तंत्र उपलब्ध करवाता है, जहां किसान किसी भी विवाद की स्थिति में उपमण्लाधीश के पास जा सकता है। कोई भी बकाया राशि होने की स्थिति में किसानों की जमीन पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाएगी।
केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि इन बिलों से कृषि क्षेत्र के लिए नये बाजारों के विस्तारित होने की संभावनाएं बढ़ेगी। कृषि क्षेत्र से संबंधित नये उद्योग विकसित होने की संभावनाएं लगातार विस्तारित होती रहेंगी। कृषि क्षेत्र के उद्योगों के विकसित होने के परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र एक प्रकार का उद्योग का रूप लेता जाएगा। फसलों के विविधिकरण को प्रोत्साहन मिलेगा। कृषि उत्पादों के बाजार मूल्यों में वृद्धि होने की संभावनाएं लगातार प्रबल्ल बनी रहेंगी। किसान प्रत्यक्ष रूप से कृषि उद्योगों से जुड़ेगेंं। किसानों का कृषि बाजारों में प्रत्यक्ष रूप से प्रवेश हो सकेगा। एक दूसरे से जुड़ी इन सभी प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र भी एक व्यवसाय का रूप ले सकेगा
केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय दोगुणा करने की दिशा में क्रमबद्ध रूप से योजनाओं को लागू कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र का विकास करना व किसान के हितों को संरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता है। इस दिशा में धरातल पर कार्य किए गए हैं। कृषि क्षेत्र से संबंधित ये तीनों बिल भी इसी प्रक्रिया का एक भाग हैं। किसान संगठनों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों में अटूट विश्वास है। केवल विपक्षी राजनैतिक दल अपना राजनैतिक अस्तित्व बचाने के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सके व कृषि क्षेत्र का विकास हो सके।