एक महीना 10 दिन निःशुल्क प्रशिक्षण से सीखा मधुमक्खी पालन, सालाना कमा रहे हैं 4 लाख रूपये
नाहन / 06 दिसम्बर / जगत सिंह तोमर
सिरमौर जिला के राजगढ़ उपमंडल के ग्राम पंचायत जदोल टपरोली के टपरोली गांव के जोगिन्द्र सिंह ने बताया कि दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत के बाद भी परिवार का पालन पोषण बड़ी मुश्किल से हो रहा था। उनकी दिनचर्या हमेशा इसी सोच-विचार में ही निकल जाती थी कि किस प्रकार परिवार के उचित पालन-पोषण के लिए अन्य रोजगार किया जाए ताकि उनके परिवार का जीवन सुखमय हो, लेकिन वह जानते थे कि केवल खेती और घरेलू कार्यों से ज्यादा आमदनी नहीं हो सकती, इसलिए उन्होंने कुछ नया करने की ठान ली।
खेती-बाड़ी व अन्य घरेलू कार्याें में व्यस्त रहने वाले जोगिन्द्र सिंह के चेहरे पर एक खुशी की लहर तब नज़र आई जब मौन पालन से उनकी आर्थिक स्थिति में एक नया बदलाव आया। यह बदलाव प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही ’’मुख्यमंत्री मधु विकास’’ योजना से संभव हो पाया है। उनका कहना है कि यदि कोई भी व्यक्ति कुछ कर गुजरने की इच्छा रखता है तो उसे उस कार्य में अवश्य ही कामयाबी हासिल होती है। इस कामयाबी का श्रेय उन्होंने ’’मुख्यमंत्री मधु विकास’’ योजना को दिया है जिसके कारण प्रदेश के किसानों व बागवानों और ग्रामीण बेराजगार लोगों को स्वरोजगार का बेहतर विकल्प उनके घर-द्वार पर ही उपलब्ध हो रहा है।
जोगिन्द्र सिंह ने कहा कि उन्होंने डाॅ0 वाई0एस0 परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी जिला सोलन से उच्च वरियता प्राप्त वैज्ञानिकों से मौन पालन व ब्री ब्रीडर पर एक महिना 10 दिन का निःशुल्क प्रशिक्षण व उत्तम तकनीक की जानकारी हासिल की। इसके उपरान्त उन्होंने मौन पालन व ब्री ब्रीडर के लिए उद्यान विभाग के कार्यालय राजगढ़ में आवेदन दिया। वर्ष 2019 में उद्यान विभाग राजगढ़ द्वारा मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत उन्हें ब्री ब्रीडर के लिए तीन लाख रूपये की अनुदान सहायता राशि प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन बहुत फायदे का व्यवसाय है और यदि इस व्यवसाय को कड़ी मेहनत व लगन और अच्छी देखभाल के साथ किया जाए तो बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। उनका कहना है कि 300 मौनवशं से साल में पांच से छः क्विंटल शहद प्राप्त हुआ है जिससे उन्हें चार लाख रूपये सालाना आय प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि दिसम्बर और जनवरी महीने में सरसों के फूलों से ज्यादा मात्रा में शहद प्राप्त होता है, इसलिए शहद उत्पादन मेें बढौतरी के लिए मौन वशों को मौसम के अनुसार हिमाचल के कुल्लू व अन्य राज्यों में राजस्थान, उतराखण्ड, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा हरियाणा के रेवाड़ी इत्यादि स्थानों पर ले जाते हैं। उनका कहना है कि खेती-बाड़ी से जितनी आय दो से तीन सालों में होती है उससे दोगुनी आय अब मधुमक्खी पालन से एक साल में ही होने से उनका परिवार काफी खुश है। प्रदेश सरकार द्वारा बेरोजगार लोगों व ग्रामीणों के हित व कल्याण के लिए आरम्भ की गई इस योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का आभार व्यक्त किया है।