मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ लाभार्थियों को शत प्रतिशत देना सुनिश्चित करें : उपायुक्त
फतेहाबाद / 06 जुलाई / न्यू सुपर भारत
हरियाणा सरकार द्वारा कोरोना महामारी से निराश्रित हुए बच्चों के पुनर्वास और सहायता करने व सुरक्षित भविष्य देने के मकसद से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुुरू की है। इस संबंध में उपायुक्त महावीर कौशिक ने मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय में अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अधिकारी जिला में इस योजना का लाभ लाभार्थियों को शत प्रतिशत देना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि यह योजना लाभार्थियों के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि कहा कि कोरोना महामारी में माता-पिता की मृत्यु के बाद अनाथ हुए बच्चों को इस योजना से बड़ी सहायता मिलेगी यानि इस योजना के तहत ऐसे सभी बच्चे, जिन्होंने अपने माता-पिता या उनका पालन पोषण करने वालों को खोया है उनको हरियाणा सरकार से आर्थिक सहायता मिलेगी।
उपायुक्त ने बताया कि हरियाणा बाल संरक्षण समिति द्वारा जिला में अब तक 8 ऐसे बच्चों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजाना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा में नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय/निजी स्कूल में डे-स्कोलर के रूप में दाखिला तथा निजी स्कूल में दाखिला के लिए पीएम केयर्स से आरटीई के तहत फीस, वर्दी, पाठ्यक्रमों व नोटबुक की सुविधा प्रदान की जाएगी।
इसी प्रकार 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा के दौरान किसी भी आवासीय विद्यालय जैसे सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय, इत्यादि में दाखिला, निजी स्कूल में दाखिले के लिए पीएम केयर्स से आरटीई के तहत फीस, वर्दी, पाठ्यक्रमों व नोटबुक की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा दादा-दादी या विस्तारित परिवार की देखरेख में रहने वाले बच्चे को निकटतम केन्द्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे-स्कोलर के रूप में दाखिला दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत उच्च शिक्षा के लिए सहायता के रूप में भारत में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों/उच्च शिक्षा हेतु शिक्षा ऋण दिलाने में बच्चे की मदद के साथ-साथ ऋण के ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा। विभिन्न योजनाओं के तहत ऐसे बच्चों को स्नातक/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के शिक्षा शुल्क/पाठ्यक्रम शुल्क के बराबर छात्रवृत्ति तथा जो बच्चे मौजूदा छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत पात्र नहीं है उनके लिए पीएम केयर्स द्वारा समकक्ष छात्रवृत्ति सुविधा दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त ऐसे सभी बच्चों को आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा के तहत 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाएगा तथा 18 वर्ष की आयु तक के इन बच्चों के प्रीमियम की राशि का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर पीएम केयर्स द्वारा 10 लाख रुपये का कोष, 18 वर्ष की आयु से अगली 5 वर्षों तक उच्च शिक्षा की अवधि के दौरान मासिक वित्तीय सहायता/छात्रवृत्ति तथा 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर बच्चे को व्यक्ति और व्यावसायिक उपयोग हेतु एकमुश्त राशि दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस दिशा में हरियाणा सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है जिसके तहत 18 वर्ष तक 2500 रुपये प्रति बच्चा प्रति महीना, बिना परिवार के बच्चों की देखभाल करने वाले बाल देखभाल संस्थान को 1500 रुपये प्रति बच्चा प्रतिमास 18 वर्ष तक की आयु तक, अन्य पूरा खर्चा बाल देखभाल संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा। इसी प्रकार 18 वर्ष तक पढ़ाई के दौरान प्रतिवर्ष 12000 रुपये अन्य खर्चों के लिए भी सरकार द्वारा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 8वीं से 12वीं या व्यावसायिक पाठ्यक्रम में किसी भी कक्षा में पढऩे वाले बच्चों को टेबलेट की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
उपायुक्त ने बताया कि कोविड महामारी के कारण अनाथ हुई लड़कियों को मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत 51 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह राशि बालिका के नाम पर बैंक में रखी जाएगी और विवाह के समय उन्हें ब्याज सहित पूरी राशि दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि गैर संस्थागत देखभाल में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता और विवाह पर लड़कियों को सहायता का लाभ प्रदान करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग नोडल होगा। इस अवसर पर जिला बाल कल्याण समिति के चेयरमैन नरेन्द्र मोंगा, सीएमओ डॉ. वीरेश भूषण, जिला शिक्षा अधिकारी दयानंद सिहाग, जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रदीप कुंडू, पीओ आईसीडीएस राजबाला जांगड़ा, जिला कल्याण विभाग से मंजू आदि अधिकारियों ने चिन्ह्ति बच्चों को इस योजना का लाभ शीघ्र देने का आश्वासन दिया।
बैठक में सीएमओ नियमित तौर पर कोरोना के कारण मृत्यु को प्राप्त व्यक्तियों की सूचना जिला बाल संरक्षण अधिकारी कार्यालय को प्रत्येक माह भिजवाना सुनिश्चित करेंगे। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे बच्चों का सत्यापन जिला कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा करवाया जाएगा व शहरी क्षेत्रों में सत्यापन जिला बाल संरक्षण अधिकारी के द्वारा करवाया जाएगा।
जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा अनाथ किशोर बच्चियों का दाखिला कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में करवाने को प्राथमिकता दी जाएगी। चिन्ह्ति किए गए बच्चों के मामले में बाल कल्याण समिति के द्वारा किशोर न्याय (बच्चों की सुरक्षा एवं देखभाल) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाएगी और संबंधित सूचना जिला बाल कल्याण अधिकारी कार्यालय को पहुंचाई जाएगी। 8वीं से 12वीं कक्षा के बीच व व्यवसायिक कोर्सिस में पढ़ाई कर रहे ऐसे बालकों के मामलों का सत्यापन जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा किया जाएगा।