ऊना / 25दिसंबर / एन एस बी न्यूज़ :
हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में स्थित गोबिंद सागर झील औरस्वां नदी में इस वार सैंकड़ो प्रवासी पक्षी हजारों मील की दुरी तय कर ऊनामें पहुंचे है। जिला ऊना की गोबिंद सागर झील और स्वां नदी इन प्रवासी पक्षियोंके आने से गुलजार हो गई है तथा प्रवासी पक्षियों के आगमन से झील और नदी काक्षेत्र चहक उठा है।
गोबिंद सागर झील और स्वां नदी में पिछले कुछ बर्षो से प्रवासीपक्षी आ रहे है लेकिन इनकी संख्या न के बराबर ही होती थी लेकिन इस बारकाफी जायदा संख्या में प्रवासी पक्षियों नेगोबिंद सागर झील और स्वां नदी को अपना पसंदीदा स्थल मानते हुए यहाँ पर डेराडाला है। इन दोनों स्थानों पर प्रवासी पक्षियों की लगभग 10-12 प्रजातिया यहाँ देखनेको मिल रही है। इनमें से गोबिंद सागर में सबसे ऊँची उड़ान भरने वाले बारहेडेड ग्रीस भी देखने को देखने को मिली है जबकि स्वां नदी में ब्लैक विंगस्टीम्ड,पैंटर्ड स्ट्रोक ,रूडी शेल्डक ,सारस क्रेन ,कॉमन पेचर , सहित अन्यप्रजातियों के प्रवासी पक्षी अठखेलियां करते देखे जा रहे है।
वन विभाग की मानेतो सभी कर्मियों को इन पक्षियों बारे लोगों को जागरूक करने के साथ साथपंछियों की प्रजातियों और संख्या की जानकारी भी एकत्रित करने के निर्देशदिए गए है। और साथ ही अगर कोई इनका शिकार करने की कोशिश करतापाया गया तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने की बात बिभाग कर रहा है इससे पहलेगोबिंद सागर झील और स्वां नदी में इक्का दुक्का ही प्रवासी पक्षी बिचरने आते थेलेकिन इस दफा काफी तादाद में प्रवासी पक्षियों ने यहाँ पर डेरा डाला है। वहीँवन विभाग विदेशी पक्षियों बारे लोगों को जागरूक करने के दावे कर रहा है।और शिकार को लेकर भी कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहा है बहीपंक्षी प्रेमी गोविन्द सागर लेख को नेशनल बैटलैंड घोषित करने की मांग कररहे है राहुलशर्मा एसीएफ वन मंडलाधिकारी ऊना का कहना है कि विदेशों में पंक्षी बर्फ पडंनेके कारण वंहा पर भोजन की कमी हो जाती है इसलिए यह हजारों मील की दूरी तयकर यहाँ पहुंचते है और यहाँ पर इनको पर्यापत संख्या में भोजन मिलता है इसलिएयहाँ यह अपना डेरा जमा लेते है और जब गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है तो फिरयह बापिस अपने घर की तरफ रवना हो जाते है बही पंक्षी प्रेमीओ की माने तो इससे पहले इन प्रवासी पक्षियों का मनपसंद स्थलपांग झील ही हुआ करता था लेकिन इस दफा प्रवासी पक्षियों ने शान्तमय गोबिंदसागर और स्वां नदी को भी अपने लिए बेहतर स्थल चुना है। और यहाँ पर यह काफीसमय गुजरने के बाद बापिस चले जाते है ।