मंडी / 30 अगस्त / न्यू सुपर भारत न्यूज़
सांप के काटने पर झाड़-फूंक में समय गंवाना पीड़ित की मौत का कारण बन सकता है। जानकारों के मुताबिक दुनिया भर में सर्पदंश से होने वाली मौतों के ज्यादातर मामलों में लोग सांप के जहर से नहीं बल्कि डर और अंधविश्वास के कारण मरते हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि सर्पदंश के मामलों में नीम-हकीमों के झांसे में पड़ कर कीमती वक्त बर्बाद किए बिना जितना जल्दी हो सके डॉक्टरी मदद लें।
जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेन्द्र शर्मा का कहना है कि सांप काटने के बाद शुरुआती कुछ मिनट बेहद अहम होते हैं। लेकिन कई दफा देखने में आता है कि लोग सांप के काटने पर अस्पताल आने से पहले झाड़-फूंक के चक्कर में फंस जाते हैं। इसमें समय गुजर जाने की वजह से लोगों को बचाना मुश्किल हो जाता है।
गौरतलब है कि हाल ही में इसी तरह का एक दुखद मामला मंडी जिला के सरकाघाट की गोपालपुर पंचायत में सामने आया, जहां सांप के काटने पर एक 13 वर्ष के बच्चे को अस्पताल न ले जाकर पहले झाड़ फूंक करने वाले ओझा के पास ले जाया गया । उसे समय पर सही इलाज नहीं मिल पाया और दुर्भाग्य से उसकी मौत हो गई।
आज के समय मे इस तरह की घटना समाज के लिए झकझोरने वाली है। मंडी जिला प्रशासन लोगों को जागरूक और शिक्षित करने पर जोर दे रहा है ताकि अंधविश्वास के चलते बहुमूल्य जीवन के साथ ऐसा खिलवाड़ न हो। किसी भी बिमारी या आपात स्थिति में सबसे पहले चिकित्सक से परामर्श करें और जितनी जल्दी हो सके रोगी को अपनी नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल पहुंचाया जाए।
सांप काटने की स्थिति में उपचार बारे मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एंटी स्नेक वेमन उपलब्ध है। जोकि सभी प्रकार के सांपों के विष को मानव शरीर में खत्म करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. दिनेश ठाकुर ने बताया कि भारत में सांपों की 250 प्रजातियां हैं जिनमें से 50 प्रजातियां ही विषैली हैं। इनमें से पांच प्रजातियां मनुष्य के लिए बहुत खतरनाक हैं । खाने की तलाश में अपने बिलों से बाहर इधर-उधर निकलने के अलावा बरसात में बिलो में पानी भर जाने के कारण और गर्मियों में अत्यधिक गर्मी के चलते सांप बिलों से निकलते हैं। इस स्थिति में ये कई बार चूहों आदि की तलाश में घरों में भी आ जाते हैं।
उन्होंने कहना है कि सावधानी रखने पर सांप के काटने से बचा जा सकता है। बरसात के मौसम में नंगे पांव न चलें, गम बूट पहन कर और छड़ी लेकर ही घास पर चलें। अंधेरे में चलने से परहेज करें। दरवाजों, खिड़कियों में छेद हों तो उन्हें समय रहते बंद कर दें ताकि सांप इन छेदों से घरों में न घुस सकें।
उन्होंने बताया कि सांप काटने के उपरान्त तुरन्त व्यक्ति को सांप से दूर ले जाएं, पीड़ित व्यक्ति को लिटा दें और घाव को दिल के स्तर से नीचे रखें। व्यक्ति को शांत रखें और हिलने डुलने न दें, घाव को एक पटटी से बांध दें। घाव वाले क्षेत्र में यदि कोई ज्वेलरी है तो उसे उतार दें। उन्होंने बताया कि घाव को पानी और साबुन से धोएं ताकि सांप के जहर के असर को कम किया जा सके। उन्होंने लोगों से अपील की कि सांप काटने की स्थिति में घबराएं नहीं। कोशिश करें जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंच जाए और चिकित्सक की सलाह के बिना कोई दवा न दें।
उन्होंने कहा कि सांप को मारने व पकडने में समय बर्बाद न करें। हो सके तो सांप की फोटों ले लें ताकि यह पता चल सके कि सांप किस प्रजाति का है।