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नाथ संप्रदाय महासभा द्वारा झिड़ी में छिद्राअनुष्ठान का सफल आयोजन


कुल्लू मंडी के नाथ सम्प्रदाय से जुड़े लोगों ने लिया भाग


निखिल कौशल कुल्लू।

नाथ संप्रदाय द्वारा झिड़ी में छिद्रा अनुष्ठान का आयोजन किया गया जिसमें जिला कुल्लू व मंडी के सभी गांवों से नाथ संप्रदाय के लोगों ने हिस्सा लिया

सोलहवीं और सत्रहवी शताब्दी के मध्य कुल्लू के राजा के शासन काल के दौरान तत्कालीन राजा के राजगुरु तारा नाथ थे । उसी कालखंड में किशनदास उर्फ फुआरी बाबा आए और उन्होंने झिड़ी में अपने  तप के लिए स्थान चुना उसी झिड़ी नामक स्थान के रास्ते होते हुए राजगुरु तारानाथ राजमहल जाते थे और राजा राजगुरु की मुद्राओं के पूजन के बाद पहले राजगुरु को भोजन करवाने के उपरांत हुए भोजन करते थे । जब फुआरी बाबा ने यह सब कुछ देखा और राज दरबार में विशेष पद पाने के लिए एक षडय़ंत्र रचा और अपनी तांत्रिक विद्या से तारानाथ के कुण्डलों को गायब कर के अपने आसन के नीचे रख दिया फिर फुआरी बाबा ने राजा को बताया कि आपके गुरु के कुंडल कान से गायब है और अपने आसन के नीचे छुपाए हुए दिखाएं । फुआरी बाबा ने कहा कि आपका गुरु अछूत हो गया है इस कारण राजा ने तारानाथ को पद से हटा दिया और उसे अछूत घोषित किया इस के चलते तारनाथ ने  नाथ सम्प्रदाय को श्राप दिया । इसी के चलते कुल्लू के नाथ संप्रदाय ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए छिद्रा का आयोजन किया जिसमे कुल्लू और मंडी के लोगो ने भाग लिया


नोट-फोटो कैप्शन-छिद्रा कार्यक्रम के पश्चात सामूहिक चित्र में नाथ संप्रदाय के पदाधिकारी

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