मंडी / 7 नवंबर / पुंछी
हमें अगर जीवन को बचाना है, धरती को सजाना है और भविष्य को सुरक्षित रखना है तो पेड़ों को बचाना होगा। पेड़ जीवन के लिए आवश्यक हैं, इस महत्व को समझते हुए मंडी की कृष्णा ठाकुर प्रकृति को संवारने में लगी हैं। 61 वर्षीय कृष्णा पेड़ लगाने और बचाने के अपने समर्पित प्रयासों के चलते मंडी शहर के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
डाक विभाग मंडी से पोस्टमास्टर पद से रिटायर हुईं कृष्णा ठाकुर प्रकृति सरंक्षण को लेकर अपने जुनून का जिक्र करते हुए बताती हैं इसके लिए उन्होंने 4 साल पहले एक पहल की थी। उन्होंने अपने जन्मदिन को पेड़ लगाकर मनाने की पहल की और मंडी शहर के भ्यूली में अपने घर के सामने सड़क पार ब्यास नदी के किनारे पेड़ लगाने के लिए वह जगह चुनी जहां लोग गाहे-बगाहे कूड़ा कर्कट फेंकते थे।
उन्होंने वन विभाग से अनुमति लेकर ब्यास किनारे 35 पौधे लगाए, इनमें कुछ पौधों के सूखने पर उनकी जगह नए पौधे लगाए। आज ये जगह एक लहलहाते बगीचे में बदल गई है। यहां बड़, अमरूद, बेहड़ा, पीपल, नीम, जामुन और देवदार जैसे पेड़ लहलहा रहे हैं।
पौधों की बच्चों सी की परवरिश
कृष्णा ठाकुर को पौधों की सेवा करने में सुकून मिलता है। वे बताती हैं कि बगीचे में लगाए पौधों की उन्होंने बच्चों सी परवरिश की है। बकौल कृष्णा ठाकुर ‘मुझे बगीचे में पेड़-पौधों के बीच रहना बहुत सुहाता है, उनकी बच्चों सी देखभाल करती हूं, इसमें बड़ा मन लगता है।’
वे बताती हैं कि जब उन्होंने पेड़ लगाने व उन्हें सुरक्षित एवं संरक्षित करने की ठानी तो जब कभी कहीं यात्रा पर जातीं तो वहां से एक न एक पौधा जरूर लेकर आतीं। उसे ब्यास किनारे बगीचे में लगा देतीं और फिर घर से बाल्टी से पानी ढोकर उनकी देखभाल करतीं। पशुओं से पेड़ों की सुरक्षा के लिए लोहे के बाड़े भी लगवाए।
डीसी ने बढ़ाया हौंसला
कृष्णा हल्की हंसी के साथ कहती हैं कि अब उनका शरीर बुढ़ाने लगा है तो पानी की बाल्टियां ढोने में मुश्किल होती है। लेकिन डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर को जब ये सब बताया तो उन्होंने मेरे प्रयास की बड़ी तारीफ की, मेरा हौंसला बढ़ाया और साथ ही बगीचे में सिंचाई की समुचित सुविधा के लिए प्रशासन की ओर से मदद का भरोसा दिलाया।
वे बताती हैं कि उनके बच्चे नौकरी के सिलसिले में बाहर रहते हैं। पति डॉ देवेंद्र ठाकुर आयुर्वेद विभाग से रिटायर हुए हैं, वे भी बगीचे की देखभाल में उनकी मदद करते हैं। इसके अलावा बगीचे की देखभाल में पडोसियों, सहेलियों और युवाओं का साथ मिलने लगा है। आस पड़ोस के युवा इस काम में उनकी मदद करते हैं।
नई-पुरानी पीढ़ी करे मिलकर प्रयास
कृष्णा ठाकुर जोर देकर कहती हैं कि पर्यावरण संरक्षण के लिए नई-पुरानी पीढ़ी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। यह मंडी की आबो हवा के लिए अच्छा है कि जो लोग रिटायर हैं वे प्रकृति को बचाने का प्रयास करें। स्कूलों में बच्चों और युवाओं को इसे लेकर संवेदनशील बनाया जाए, ताकि युवा शक्ति पेड़ लगाने और बचाने के महत्व को समझे व इसमें अपना योगदान दे।
क्या कहते हैं जिलाधीश
जिलाधीश ऋग्वेद ठाकुर का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण की मुहिम की सफलता सामुदायिक प्रयासों में निहित है। हम सभी को प्रकृति संरक्षण को लेकर अपनी जिम्मेदारी का बोध होना चाहिए। जिलाधीश कृष्णा ठाकुर के प्रयासों की सराहना करते हुए कहते हैं वे समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। अच्छा हो कि अन्य लोग भी उनके प्रयासों का अनुसरण कर पर्यावरण बचाने को आगे आएं। प्रशासन पर्यावरण संरक्षण को लेकर जन जागृति लाने में कृष्णा ठाकुर का सहयोग लेगा।