November 23, 2024

पराली को आय का स्रोत बनाकर पर्यावरण संरक्षण में बनें भागीदार : उपायुक्त- पराली जलाने की बजाय जैविक खाद बनाएं किसान, बढ़ाएं भूमि की उर्वरा शक्ति

0

झज्जर / 21अक्तूबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़

पराली को आय का स्रोत बनाते हुए किसान पर्यावरण संरक्षण में अतुलनीय भूमिका निभा सकते हैं। प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में सरकार की ओर से पराली न जलाते हुए उसकी खरीद करने के सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। यह जानकारी उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को पराली न जलाकर उसका सदुपयोग करने के लिए भ्ी प्रेरित किया जा रहा है। 

उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने कहा कि भूमि से हमें खाद्यान प्राप्त होते हैं, ऐसे में हमारी यह जिम्मेवारी बढ़ जाती है कि हम अपनी भूमि के स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखें। फसल कटाई के सीजन के दौरान प्रतिवर्ष किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जहां एक तरफ भूमि बंजर होती है वहीं वायु प्रदूषण से मानव जीवन व जीव जंतुओं पर भी संकट मंडराने लगता है।  उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेषों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए यह प्रदूषण और भी अधिक नुकसानदायक है। वहीं फसल अवशेष जलाने से पैदा हुए धूएं से अस्थमा व कैंसर जैसे रोगों को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि पराली को जलाने से भूमि में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्टï हो जाते हैं वहीं मिट्टïी की जैविक गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

उन्होंने बताया कि किसान राष्टï्रीय कृषि नीति की पालना करके पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। साथ ही बॉयोमास एनर्जी, खेतों में छप्पर तथा मशरुम की खेती आदि में भी फसल अवशेष का प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नागरिक सजगता का परिचय देते हुए पराली को न जलाएं बल्कि पराली के अवशेषों का उपयोग प्रभवी तरीके से करें। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति पराली को आग न लगाएं और दूसरों को भी इस बारे में जागरुक करें। सामूहिक संकल्प से ही हम जिला को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, धान के फानों को जलाने की अपेक्षा उनका प्रबंधन करें।  जिलाधीश ने बताया कि फसलीय अवशेष जलाने वालों के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। कोई भी किसान / व्यक्ति खेतों में पराली जलाता है तो आईपीसी की धारा 188 के तहत उसे 6 माह की जेल व जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान है।

सरपंच निभाएं अपना दायित्व, ग्रामीणों को करें फसल अवशेष न जलाने के लिए प्रेरित : उपायुक्त 

उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने जिला की ग्राम पंचायतों से आह्वïान किया कि वे अपने-अपने गांवों में ग्राम सभा की बैठक में ग्रामीणों को पराली न जलाने की शपथ भी दिलवाएं। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच व दृढ़ संकल्प से ही हम जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर शत प्रतिशत अंकुश लगा सकते हैं इसलिए सरपंच अपना दायित्व गंभीरता से निभाएं और ग्रामीणों को पराली न जलाने के लिए जागरुक करें। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान व उसके प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताएं।

कैप्शन : श्री जितेंद्र कुमार, उपायुक्त झज्जर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *