November 23, 2024

पीडि़त को मिले तुरंत प्रभाव से मुआवजा: उपायुक्त

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जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की की बैठक में दिशा-निर्देश देते उपायुक्त जितेंद्र कुमार।

*अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की हुई बैठक **चालू वित्त वर्ष में 36 लाख 18 हजार 750 रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की

झज्जर / 22 सितंबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़  

किसी दुर्घटना या अत्याचार के शिकार व्यक्ति को यदि समय पर आर्थिक मदद मुहैया नहीं हो पाती है तो पीडि़त व्यक्ति के लिए उस सहायता राशि की कीमत आधी हो जाती है। किसी की जान की कीमत पैसों से नहीं आंकी जा सकती परंतु समय पर मिली सहायता पीडि़त को न केवल आर्थिक संबल प्रदान करती है वरन उसे भावनात्मक रूप में भी काफी सहारा प्रदान करती है। यह बात उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने आज अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आयोजित जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। 

उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति के व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अत्याचार या दुव्र्यवहार होता है तो पीडि़त परिवार को तुरंत प्रभाव से आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने जिला कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए कि वे इस मद में मुख्यालय से अतिरिक्त बजट की मांग करें क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है जिसमें दुर्घटना होने पर पीडि़त को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना अनिवार्य हो जाता है। परंतु पर्याप्त बजट के अभाव में कई बार पीडि़त को समय पर आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं हो पाती है।  

उपायुक्त ने कहा कि सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना के तहत मात्र 12 रुपये वार्षिक की दर पर व्यक्ति को 2 लाख रुपये तक की बीमा सुविधा मिलती है। परंतु जानकारी के अभाव में इस योजना के तहत बीमा न होने के कारण उसे बीमा योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना की स्थिति में पीडि़त परिवार को आर्थिक सहायता काफी मददगार साबित होती है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आमजन को उठाना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में इस तरह के 12 मामलों में अब तक 36 लाख 18 हजार 750 रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। जिला कल्याण विभाग की जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक में आर्थिक सहायता के 12 मामले रखे गए थे। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इन मामलों को तुरंत प्रभाव से निपटाएं और पीडि़त परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करें। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 व अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम 1995 की की अनुपालना के मद्देनजर गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के साथ अत्याचार किए जाने के फलस्वरूप अपराध की प्रवृति को ध्यान में रखकर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि विभिन्न प्रकार के अत्याचारों जैसे अपमानित, क्षति पहुंचाना, भूमि पर अनाधिकृत कब्जा, कत्ल, डकैती, बलात्कार व नरसंहार, टयूबवैल का नुकसान, चल-अचल संपत्ति का नुकसान, स्थाई/अस्थाई अपंगता आदि घटित होने पर प्रदान की जाती है।  

उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत विभिन्न प्रकार के अत्याचार होने पर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को अधिनियम के नियमों के अनुसार 85 हजार रुपये से लेकर 8 लाख 25 हजार रुपये तक की राशि ऐसे मामलों के लिए प्रदान की जाती है। इसके लिए अनुसूचित जाति/जनजाति(अत्याचार अधिनियम) के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।

इस अवसर पर डीएसपी अशोक कुमार, जिला कल्याण अधिकारी श्वेता शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विभाग नीना खत्री, प्राफेसर नेहरू कालेज डा. सुरेंद्र कुमार पुनिया, सांसद प्रतिनिधि राज पारिक, पूर्व चेयरपर्सन महिला विकास निगम सुनिता चौहान, सदस्य अनिल कुमार, ईश्वर, धर्मपाल, जयपाल सिरोहा, देवेंद्र गौड़ सहित संबधित अधिकारीगण मौजूद रहे। 

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