शहरी क्षेत्र की कूड़ा निस्तारण परियोजना के मिल रहे सकारात्मक परिणाम

झज्जर / 19 मई / न्यू सुपर भारत
आजादी अमृत महोत्सव में जिला को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के फ्लैगशिप कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन की कूड़ा करकट निस्तारण परियोजना के सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं। नगरपरिषद झज्जर और बहादुरगढ़ द्वारा शहरों से निकलने वाले कई टन गीले और सूखे कूड़े को रिसाइकिल कर उपयोग में लिया जाने लगा है। स्वच्छ भारत मिशन के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम से गीले कूड़े से जहां कपोस्ट खाद तैयार की जा रही है,वहीं सूखे कूड़े को वेस्ट टू एनर्जी मुरथल प्लांट भेजा जा रहा है,जहां बिजली का उत्पादन होता है।
स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा के वाईस चैयरमैन सुभाष चंद्र और जिला परिषद के सीईओ प्रदीप कौशिक ने झज्जर प्लांट कर निरीक्षण करते हुए स्वच्छता के मामले में इसे कारगर बताया और इसकी निरंतर निगारानी के निर्देश दिए।उल्लेखनीय है कि हर रोज जहां झज्जर नगरपरिषद द्वारा कुल 26 मीट्रिक टन कूड़ा एकत्रित किया जाता है,जिसमें 14 मीट्रिक टन गीला और 12 मीट्रिक टन सूखा वेस्ट शामिल हैं,जिसे शहर के सैक्टर छह के समीप बने प्वाइंट पर डंप किया जाता है,
जिसमें गीला कूड़ा को गांव ऊंटलौधा स्थित प्लांट पर पहुंचाकर कम्पोस्ट खाद बनाया जाता है,वहीं बहादुरगढ नगरपरिषद की बात की जाए तो यहां पर प्रतिदिन 110 मीट्रिक टन कूड़ा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन एकत्रित कर नया गांव के समीप बने प्लांट में कंपोस्ट पिट तक लाकर गीला और सूखा पृथक किया जाता है। इसमें 60 मीट्रिक टन गीला और 50 मीट्रिक टन सूखा कूड़ा होता है । इस प्रक्रिया के बाद ही दोनों तरह के के कचरे को रिसाइकिल करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। गीले कूड़े से जहां कपोस्ट खाद बनाया जाता है।
दोनों शहरों से निकले सूखे कूड़े को सोनीपत के मुरथल में स्थापित प्रदेश के पहले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट (कचरा निस्तारण प्लांट से बिजली उत्पादन) को भिजवाया जा रहा है,जहां इससे बिजली उत्पादन होता है। गीले कूड़े से तैयार कंपोस्ट खाद का जहां किसान खेतों में उपयोग कर रहे हैं,वहीं सडक़ों की लेयर लगाने में यह सहायक है।
झज्जर और बहादुरगढ शहर को स्वच्छ बनाने में हर नागरिक का सहयोग जरूरी : सीईओ
जिला परिषद के सीईओ प्रदीप कौशिक ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत कूड़ा कचरे को रिसाईकिल करके हुए उससे कंपोस्ट खाद और बिजली उत्पादन हो रहा है,जिससे न केवल स्वच्छता को बढ़ावा मिल रहा है,साथ ही फिलहाल जो कूड़ा एकत्रित हो रहा है, उसमें खाद्य अपशिष्ट के साथ-साथ लोहा, प्लास्टिक व शीशा भी मिला रहता है। कम्पोस्ट बनाने के लिए इन्हें अलग-अलग छांटना जरूरी है।
सीईओ प्रदीप कौशिक बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर कम्पोस्ट बनाने के लिए घरों से निकले अवशेष भोजन व सब्जी के छिलकों के अलावा सब्जी मंडी से सब्जियों व फलों के अपशिष्ट को कचरे के रूप में एकत्रित किया जाता है। इससे निपटने के लिए छोटे-छोटे उपायों पर कार्य हो रहा है। कचरा निस्तारण के लिए कम्पोस्ट बनाने का कार्य शुरू होने से झज्जर और बहादुरगढ़ शहरों को स्वच्छ बनाने में मदद मिल रही है।
उन्होंने बताया कि ओडीएफ,ओडीएफ पलस के बाद अब ओडीएफ पलस -टू फेज चल रहा है। आगामी स्वच्छता सर्वेक्षणों में झज्जर और बहादुरगढ़ शहरों को बेहतर स्थान के लिए नपा ने ट्रेंचिंग ग्राउंड की जमीन पर तार फेंसिंग कर कम्पोस्ट पीट बना कर गीला और सूखा कचरा अलग एकत्र कर खाद बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि हम दोनों शहरो को स्वच्छता में नंबर वन बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे है।