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धान की पराली की सुचारु संभाल कर रहे हैं गांव पंजौड़ा के किसान ***- कृषि विभाग व पी.ए.यू की बताई तकनीक अपना कर खेती में नई मिसाल कायम कर रहे हैं गांव के किसान

Note: Harjit Singh, Panjoura Hoshiarpur

होशियारपुर / 19 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़


जिला प्रशासन की ओर से धान की पराली के सुचारु प्रबंधन के लिए चलाए गए अभियान में कुछ गांवों के प्रगतिशील किसानों ने अनथक मेहनत के चलते धान की पराली का सुचारु प्रबंधन कर मिसाल कायम की है। इन्हीं गांवों में ब्लाक माहिलपुर गांव पंजौड़ा भी शामिल है, जहां के किसान अपनी प्रगतिशील सोच के कारण जिले के अन्य किसानों का मार्गदर्शन कर रहे हैं व गांव में बेलर का प्रयोग कर धान की पराली का योग्य प्रबंधन कर रहे हैं।


गांव के प्रगतिशील किसान हरजीत सिंह जो कि 21 एकड़ पर धान व गेहूं की खेती करते हैं और रबी 2018 से ही सुपर एस.एम.एस कंबाइन से धान की कटाई करने के बाद हैप्पी सीडर तकनीक से गेहूं की सफल बिजाई 20 एकड़ रकबे में करते आ रहे हैं। इस दौरान ही उन्होंने हैप्पी सीडर तकनीक से गेहंू की सफल काश्त कर दूसरे किसानों की मदद से कृषि विभाग के सहयोग से फार्म मशीनरी बैंक भी बनाया है। वे हैप्पी सीडर विधि से संतुष्ट क्योंकि इस विधि से धान की पराली को बिना आग लगाए गेहूं की सीधी बिजाई संभव है। उन्होंने कहा कि इस विधि से गेहूं की बिजाई समय पर हो जाती है।


किसान हरजीत सिंह ने जहां वर्ष 2019-20 में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा उपलब्ध करवाए उलटावें हल व मल्चर की मदद से धान के बाद आलू की भी सफल काश्त की है वहीं वह खेत को समतल करने के लिए कंप्यूटर कराहे का भी प्रयोग कर रहे हैं और अपने कृषि संबंधी अनुभवों को दूसरे किसानों से भी सांझा करता है। उसने हमेशा ही दूसरे किसानों को वातावरण हितैषी तकनीके अपनाने के लिए उत्साहित किया है। उन्होंने बताया कि वह नवीनतम खेती तकनीकों की जानकारी के लिए जिला स्तरीय व राज्य स्तरीय किसानों मेलों में शिरकत करते हैं। हरजीत सिंह ने बताया कि वह कृषि विज्ञान केंद्र होशियारपुर के किसान क्लब का सदस्य है व कृषि संबंधी तकनीके अन्य किसानों से सांझी करता है। इसके अलावा वह पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना की धान व गेहूं की सिफारिश किस्मों की काश्त करता है।


गांव पंजौड़ा के ही एक अन्य किसान सतनाम सिंह ने कृषि व किसान भलाई विभाग होशियारपुर द्वारा उपलब्ध सब्सिडी पर रेक व बेलर खरीदा है, जिससे पराली की लाइने बन जाती है, इन लाइनों पर बेलर के माध्यम से वह पराली की गाठें बनाता है। यह किसान पराली की गांठों को गांव बिंजों में लगे बायोमास प्लांट में बेचता है। इसके पास इस समय दो बेलर है व पंजौड़ा व नजदीकी गांवों में भी बेलर के माध्यम से पराली की यह संभाल कर रहा है।

कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर मनविंदर सिंह बौंस ने बताया कि गांव पंजौड़ा को धान की पराली प्रबंधन के कार्य के लिए वर्ष 2018-19 में केंद्रीय प्रोजैक्ट के अंतर्गत अपनाया गया था व इस बाबत प्रशिक्षण कोर्स, जागरुकता अभियान व प्रदर्शनियों के माध्यम से अलग-अलग गतिविधियां चलाई गई थी। उन्होंने कहा कि गांव के प्रगतिशील किसान हरजीत सिंह, हरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, कमलजीत सिंह, गुरदेव सिंह, जसकरन सिंह, सुरिंदर सिंह, गगनदीप सिंह, परमिंदर सिंह आदि ने धान की पराली को खेत में ही संभाल कर गेहूं की सफलतापूर्वक सीधी बिजाई कर रहे हैं। गांव की सूझवान किसानों की ओर से बड़े रकबे पर धान की पराली को जमीन में मिलाया जा रहा है, जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। इसके साथ ही पशु चारे के लिए पराली इक_ी की जा रही है।

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