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2047 तक विकसित भारत-युवाओं की आवाज विषय पर कार्यशाला आयोजित

शिमला / 11 दिसम्बर / न्यू सुपर भारत

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज राजभवन में ‘2047 तक विकसित भारत-वायस ऑफ यूथ’ विषय पर आयोजित कार्यशाला को दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व का प्रतिनिधित्व कर रहा है। हमें अगले 25 वर्षों में एक विकसित भारत बनाने के लिए युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक दिशा में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकसित राष्ट्र में हमारे योगदान को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण और आमंत्रित विचार अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत का युग होगा, क्योंकि देश अपनी क्षमताओं पर विश्वास के साथ भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। इसका मसौदा उन संस्थागत और संरचनात्मक परिवर्तनों और सुधारों की रूपरेखा तैयार करेगा जिनकी देश को एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए आवश्यकता होगी।युवाओं में बढ़ती नशे की लत पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह शिक्षण संस्थानों तक पहुंच रही है, जिस पर विचार करने व अंकुश लगाने की जरूरत है।

शुक्ल ने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है। 144 करोड़ की आबादी के साथ, भारत 29 वर्ष की औसत आयु वाले सबसे युवा देशों में से एक है। यह विश्व की कुल युवा जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत बड़ा अवसर है, जिसके 2047 तक बने रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस जनसांख्यिकीय लाभांश का सदुपयोग करके हम भारत को विकसित भारत के रूप में आगे ले जा सकते हैं।

उन्होंने विकसित भारत के अभियान को विश्वविद्यालय स्तर पर संचालित करने और युवाओं के सुझाव आमंत्रित कर उन्हें दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने को कहा।इससे पहले प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया-2047 आइडिया पोर्टल के लॉन्चिंग कार्यक्रम और उनके वर्चुअल संबोधन का भी यहां प्रसारण किया गया।

राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा ने यहां नीति आयोग द्वारा निर्धारित विषयवस्तु पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
कार्यशाला में पांच समूह बनाये गये, जिन्होंने इस अवसर पर सशक्त भारतीय, संपन्न एवं सतत अर्थव्यवस्था, नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सुशासन एवं सुरक्षा तथा विश्व में भारत विषय पर अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, निदेशक, प्रति-कुलपति, डीन, प्राचार्य, प्रोफेसर और संकाय सदस्यों ने भाग लिया।

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