पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने को ई-कचरा निष्पादन जरूरी: डीसी
धर्मशाला / 16 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत
ई-कचरा के बेहतर निष्पादन के लिए लोगों को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है ताकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। यह उद्गार उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने सोमवार को डीसी कार्यालय परिसर से ई-कचरा संग्रहण सप्ताह के तहत ई-कचरा संग्रहण वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के उपरांत दी। उक्त वाहन के माध्यम से सोमवार को धर्मशाला तथा कांगड़ा में ई-कचरा एकत्रित किया गया इसके साथ ही 17 अक्तूबर को नगरोटा तथा पालमपुर में एसडीएम कार्यालय परिसर में, 18 अक्तूबर को देहरा तथा ज्वालाजी एसडीएम कार्यालय परिसर में उक्त वाहन के माध्यम से ई-कचरा एकत्रित किया जाएगा।
उपायुक्त ने बताया कि आधुनिक समय में हर घर में एक वाशिंग मशीन, टेलीविजन, कूलर, हीटर, एयर कंडीशनर, कंप्यूटर, आई-पैड, टेलीविजन, सेल फोन हैं। तकनीक में परिवर्तन के कारण जब ये घरेलू उपकरण उपयोग में नहीं आते और फेंक दिए जाते हैं तो इन्हें ई- कचरा की संज्ञा दी जाती है। उन्होंने कहा कि आईटी उद्योग में तेजी से उछाल के कारण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में वृद्धि हुई है। मोबाइल फोन तेज गति से आउट-ऑफ-फैशन और अनावश्यक हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें त्याग दिया जाता है। इससे बड़ी मात्रा में जहरीले ई-कचरे का उत्पादन होता है।
उन्होंने कहा कि ई-कचरे में प्लास्टिक और कांच के अलावा कैडमियम, लेड, मरकरी, पॉली-क्लोरीनयुक्त बाइफिनाइल्स जैसे खतरनाक रसायनों का मिश्रण है। ये हानिकारक रसायन लैंडफिल से मिट्टी में प्रवेश करते हैं और जल निकायों को दूषित करते हैं। ई-कचरा जलाए जाने पर हवा में जहरीली गैसों को छोड़ता है और वायु प्रदुषण को बढाता है। उपायुक्त ने कहा कि ई-कचरे के सही निष्पादन के लिए ई-कचरा वाहन के माध्यम से संग्रहण किया जा रहा है तथा इसे सुचारू रूप से रिसाईकल किया जाएगा ताकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। उपायुक्त ने सभी नागरिकों से आग्रह करते हुए कहा कि ई-कचरा को ई-कचरा वाहनों में प्रदान करने में अपना रचनात्मक सहयोग सुनिश्चित करें।