December 22, 2024

टौणी देवी में बच्चों से अपने बर्थडे की तरह ही अर्थ डे को भी याद रखने का आह्वान

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हमीरपुर / 22 अप्रैल / रजनीश शर्मा ///

पृथ्वी पर जीवन को कायम रखने में सबसे आवश्यक है कि पर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के साथ अनुकूल पर्यावरण बना रहे। इस महत्त्व को समझाने के लिए वर्ष 1970 से दुनिया के 192 देश प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन व अनुकूल पर्यावरण के बिना पृथ्वी पर जीवन विल्कुल भी संभव नहीं है। पिछले कुछ दशकों में अपर्याप्त होते प्राकृतिक संसाधन व प्रतिकूल होते पर्यावरण के चलते यह चिंता लगातार गहराती जा रही है कि पृथ्वी पर जीवन को कैसे कायम रखा जाए। लगातार बढ़ती जनसंख्या, दिशाहीन विकास और प्रकृति व पर्यावरण के अंधाधुंध दोहन के कारण आज हवा पानी और मिट्टी प्रदूषित हो चुके हैं।

विश्व पृथ्वी दिवस एक ऐसा अवसर है जब हम पृथ्वी को जीवनदायी बनाए रखने का संकल्प ले सकते हैं। इसी कड़ी में  स्वर्ण  जयंती राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ( उत्कृष्ट) टौणी देवी  में मयूर इको क्लब द्वारा आज पृथ्वी दिवस इस वर्ष की थीम “ग्रह बनाम प्लास्टिक”  पर  मनाया गया जो न केवल  हमारे ग्रह और इसके निवासियों पर प्लास्टिक प्रदूषण के गंभीर परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है अपितु  प्लास्टिक के उपयोग और उत्पादन को भारी रूप से कम करने के लिए एक वैश्विक आंदोलन को प्रेरित करना भी  है।

प्रवक्ता हेम लाल द्वारा असेंबली में छात्रों को विशेष रूप से संबोधित किया गया, जिसमें उन्हें इसके महत्व के बारे में बताया गया कि पृथ्वी प्रकृति का स्रोत और यह सभी चीजों को जीवन देता है। इसलिए जरूरी है कि हम पृथ्वी की संभाल के लिए अपना योगदान दें I इस अवसर पर  इको क्लब सदस्यों के साथ सभी बच्चों ने  पृथ्वी को  सुरक्षित रखने के लिए शपथ के साथ साथ पाठशाला प्रांगण की साफ सफाई भी की आयोजन किया गया सदस्यों ने सभी को पानी का बचाव और पृथ्वी की सुरक्षा पर विभिन्न संदेश दिए और सभी से पौधा लगाने का आग्रह किया यह जानकारी देते हुए प्रधानाचार्य श्री रजनीश रांगड़ा ने बताया कि इस वक़्त  हमारा परम कर्तव्य है कि हम पृथ्वी की सभी प्राकृतिक धरोहरों को बचाने के लिए अभी से सजग हो जाएं।

जिस तरह से हम अपना बर्थ-डे सेलिब्रेट करते हैं, ठीक उसी भाव के साथ हम सबको 22 अप्रैल के दिन विश्व पृथ्वी दिवस मनाना चाहिए। जिस तरह से हम अपने जीवन को महत्त्व देते हैं, उसी तरह से पृथ्वी की अमूल्य धरोहरों के महत्त्व को समझने और उनके संरक्षण करने की भी आवश्यकता है।आज हमारी पृथ्वी संकट में है, शुद्ध जल की कमी और प्रदूषण मुख्य समस्याएँ बनी हुई हैं। युवा पीढ़ी को यह नहीं भूलना चाहिए कि यह धरती हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली हैं और इसे भावी पीढ़ी को संरक्षित रूप में देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। इस अवसर पर सुरेश ,संजीव,राजेश, पवन,सोनू,बलबीर, सतीश,संजय , कृष्ण ,तनु,लीना ,सुनीता सहित सभी अध्यापक उपस्थित रहे I

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