हमीरपुर / 02 दिसम्बर / रजनीश शर्मा
बस स्टैंड हमीरपुर के बाहर सड़क किनारे बने खोखों को हटाने के लिए फ़िलहाल 15 दिन के लिए अंतरिम रोक लग गयी है। जिला प्रशासन एवं लोकनिर्माण विभाग के दख़ल के बाद नगर परिषद हमीरपुर से दुकानें खाली करने के नोटिस के बाद खोखा धारकों ने प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद न्यायालय ने खोखाधारकों को पहले 25 नवंबर तक और अब पंद्रह दिन की और मोहल्लत प्रदान की है।
इसी तरह कुछ दुकानदारों ने जिला न्यायालय हमीरपुर से स्टे ले लिया है। जिसके बाद खोखाधारकों ने राहत की सांस ली है।प्रदेश उच्च न्यायालय से महज दो दुकानदारों वीरेंद्र मल्होत्रा और हुकम चंद को ही अस्थायी तौर पर राहत मिली है। जबकि, बस स्टैंड के बाहर कुल 58 खोखे हैं। खोखाधारकों ने नगर परिषद को इस मामले में पार्टी बनाया है। चूंकि सालों से खोखाधारकों से मासिक किराया नगर परिषद ही वसूल रही है। जिसके चलते प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर परिषद हमीरपुर को न्यायालय में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।
हालांकि, बताया जा रहा है कि कुछ दुकानदारों ने जिला न्यायालय में भी अर्जी दी है। जिसके चलते अब प्रशासन की ओर से खोखों को हटाने की मुहिम कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में पड़ गई है।
प्रशासन ने बस स्टैंड के बाहर सड़क किनारे बने खोखों को हटाने और दुकानदारों को बाल स्कूल परिसर में बनी पक्की दुकानों में शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद नगर परिषद, राजस्व और लोनिवि विभाग ने भूमि की निशानदेही कर खोखाधारकों को नोटिस भेजे थे। प्रशासन बस स्टैंड के बाहर मुख्य मार्ग के विस्तारीकरण और फुटपाथ बनाने जा रहा है।
क्या कहते हैं खोखाधारक वीरेंद्र मल्होत्रा
इस बारे में वीरेंद्र मल्होत्रा, अध्यक्ष जिला उद्यमी संघ हमीरपुर ने कहा कि नगर परिषद ने करीब 40 साल पूर्व शहर में रेहड़ी-फड़ी लगाने वाले दुकानदारों से अग्रिम राशि लेकर बस स्टैंड के बाहर टीन के खोखे बनाकर दिए थे। यहां पर करीब 56 खोखे हैं। सभी लोग अपने परिवार का पालन पोषण इन खोखों से होने वाली आमदन से कर रहे हैं। लेकिन, कुछ समय पहले नगर परिषद ने पंद्रह दिन के भीतर इन खोखों को खाली करने के निर्देश दिए हैं, जोकि जिला प्रशासन की तानाशाही को दर्शाता है। प्रदेश उच्च न्यायालय से पंद्रह दिनों की मोहलत मिली है। सभी खोखाधारक प्रशासन से आग्रह करते हैं कि उन्हें न उजाड़ा जाए।