नैहरियां (अंब) / 09 नवम्बर / चब्बा
श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से कोटि-कोटिअष्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। भगवान की कथा परम तीर्थ है। हम ईष्वर एवं मृत्यु कोकभी न भूलें। मन की समता एवं तत्वज्ञान से संसार की सारी झंझट स्वतः मिट जातीहै। जिन्हें इसी जन्म में अपना कल्याण चाहिए वे श्रीमद् भागवत कथा अवष्य श्रवण करें।विवेकपूर्ण विचार ही हमें लक्ष्य को प्राप्त करा सकते हैं।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीयदिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने बद्रीदास आश्रम, नैहरियां में व्यक्त किए। उन्होंनेकहा कि परम चैतन्य परमात्मा को सतत याद करने से हमारी सफलता सुनिष्चित है।बार-बार कार को याद करने से कार तो पास में नहीं आएगी, क्योंकि कार जड़वस्तु है। जबकि कार के स्वामी को याद करने से कार का मालिक कार लेकर भागा हुआ आजाता है। भगवान स्मृतिगामी हैं, हम जहां भी उन्हें स्मरण करेंगे वे हमारे लिएसमाधान बन कर खड़े रहेंगे। जब हम कहते हैं कि हमें कुछ भी नहीं चाहिए तो सारीप्रकृति हम पर अपना स्नेह लुटाने लगती है।
महाराजश्री ने कहा कि प्रभु के स्वागत में जितने गीत भारत में गाए गए उतने षायद ही धरा पर कहींव्यक्त हुए होंगे। जो परमात्मा को जान लेता है वह उन्हीं का रूप बन जाता है। जबहमारे पुण्य प्रचंड होते हैं तो जीवन की पूर्णाहुति से पूर्व ही प्रभु के द्वार खुलजाते हैं। आज कथा में भगवान शुकदेव का गंगा तट पर आगमन, परीक्षित के विविधप्रष्न, ब्रह्मा जी द्वारा सृश्टि की रचना, भगवान कपिल का अवतार एवं ध्रुव जी का भगवतप्राप्ति का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना। इस अवसर पर सर्वश्री यषपाल वर्मा, चैधरीरमेषचंद एडवोकेट, नानकचंद दत्ता, अषोक वर्मा, सुखदेव सागर बस्सी, तरसेमलाल बस्सी,मास्टर रामजीदास, चैनसिंह डडवाल, सतपाल, रमेष षर्मा, अभिशेक, आराधना गर्ग, तृप्ताबस्सी, मीनू बस्सी इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।