एमएसएमई पीसीआई के अधिकारियों की हुई बैठक, आगे की रणनीति पर किया विचार विमर्श
फतेहाबाद / 20 अक्टूबर / न्यू सुपर भारत
एमएसएमई पीसीआई के अधिकारियों की बैठक बीते दिन आयोजित की गई। बैठक में एमएसएमई पीसीआई द्वारा आगे करवाए जाने वाले प्रोजैक्टों पर गहनता से विचार विमर्श किया गया। बैठक में उद्योग, किसान, निर्माण, स्वयं सहायता समूहों और कई अन्य सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न प्रतिनिधियों को एमएसएमई की योजनाओं के प्रति जागरूक करने के लिए आमने-सामने बातचीत करने बारे चर्चा की गई।इस मौके पर एमएसएमई पीसीआई के नैशनल चेयरमैन विजय कुमार व हरियाणा चेयरमैन सुनील वर्मा ने बताया कि बैठक में जोनल मैनेजरों और बैंकिंग सेक्टर के दिग्गजों से भी सलाह ली गई कि वह एमएसएमई की योजनाओं में अपनी भूमिका कैसे निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एक सहायता प्रणाली होने के नाते एमएसएमई पीसीआई द्वारा एमएसएमई डीएफओ सहित बैंकों और लाभार्थियों के बीच अंतर को पाटने के लिए यह पहल की गई है और निकट भविष्य में इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एमएसएमई पीसीआई द्वारा जल्द ही फतेहाबाद में एक बड़ा सैमीनार आयोजित किया जाएगा। उसके बाद उन्होंने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम है। ये देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं। एमएसएमई सैक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है।
वह आगे बताते हैं कि करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका इस क्षेत्र पर निर्भर करती है। 2024 तक सरकार के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के मिशन को साकार करने के लिएए इस क्षेत्र का जीडीपी में योगदान बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने की जरूरत है। यही वजह है कि सरकार का फोकस इस सैक्टर की तरफ बढ़ा है। एमएसएमई कारोबारियों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई तरह के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सैक्टर के लिए बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि इस सैक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपए तक के लोन की गारंटी सरकार देगी।
उन्होंने बताया कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त में एमएसएमई कहा जाता है। एमएसएमई दो प्रकार के होते हैं। मैनुफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली इकाई। दूसरा है सर्विस एमएसएमई इकाई। यह मुख्य रूप से सेवा देने का काम करती हैं। हाल ही में सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा बदली है। नए बदलाव के निम्न श्रेणी के उद्यम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में आएंगे।
उन्होंने बताया कि सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत रखा अब वह उद्यम आते हैं, जिनमें एक करोड़ रुपए का निवेश (मशीनरी वगैरह में) और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो। यहां निवेश से मतलब यह है कि कम्पनी ने मशीनरी वगैरह में कितना निवेश किया है। यह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सैक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है। इसी प्रकार से उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखते हैं, जिन उद्योगों में निवेश 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ रुपए तक है। यह निवेश और टर्नओवर की सीमा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सैक्टर में लागू होती है। मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सैक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश और 250 करोड़ टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आएंगे।
इससे पहले वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर पैकेज का ऐलान करते हुए एमएसएमई की परिभाषा बदली थी। वित्त मंत्री ने 20 करोड़ रुपए का निवेश और 100 करोड़ रुपए का टर्नओवर वाले उद्यमों को मध्यम उद्योग में रखा था, लेकिन उद्यमी सरकार के इस नए बदलाव से भी खुश नहीं था। इसके बाद 1 जून 2020 को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने उद्यमियों की मांग को पूरा करते हुए यह बदलाव किया है। अब मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सैक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश (मशीन और यूनिट लगाने का खर्च आदि और 250 करोड़ टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आएंगे।
इस मौके पर दिल्ली वाइस चेयरमैन आरिफ, हरियाणा चेयरमैन सुनील वर्मा, पंजाब स्टेट चेयरमैन संजीव थापर, वाईस चेयरमैन डा. यज्ञदत्त वर्मा, सर्वजीत मान, हेमन्त ग्रोवर, रण सिंह रेप्सवाल, शैलेन्द्र गोस्वामी, मनोज कुमार व सुमन आहूजा सहित दर्जनभर लोग उपस्थित थे।