पराली प्रबंधन परियोजना के तहत क्षेत्रीय किसान मेला आयोजित, हिसार, जींद, सिरसा व फतेहाबाद के किसान हुए शामिल
फतेहाबाद / 14 अक्टूबर / न्यू सुपर भारत
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के अधीनस्थ कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा पराली प्रबंधन परियोजना के अंतर्गत भूना के गांव धौलू में पराली प्रबंधन चेतना यात्रा पर क्षेत्रीय किसान मेला का आयोजन किया गया। इस मेले में सीसीएस एचएयू, हिसार के निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. बलवान सिंह मंडल ने बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया। मेले में जिला हिसार, जींद, सिरसा और फतेहाबाद के किसानों के अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक शामिल हुए।
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. बलवान सिंह मंडल ने पराली न जलाने व इसको मृदा में मिलाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पराली को मृदा में मिलाने से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है। सहनिदेशक कृषि परामर्श सेवा और वरिष्ठ समन्वयक, कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ. सुनील कुमार ढांडा ने किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाने और इसमें फसल अवशेष के महत्व के बारे में जानकारी दी। केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार सिंह ने मृदा में घटते पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी व कहा कि पराली को जमीन में मिलाने से जैविक कार्बन और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा में बढ़ोतरी होती है।
इससे जमीन की भौतिक रसायनिक व जैविक गुणों में बढ़ोतरी होती है। डॉ. अनु वर्मा ने रबी फसलों में आने वाली बीमारियों की रोकथाम व बीज उपचार का महत्व बताया वहीं डॉ. ओमप्रकाश ने धान फसल के अवशेषों के विभिन्न उपयोगों बारे जानकारी दी।इस दौरान सस्य वैज्ञानिक डॉ. भगत सिंह ने गेहूं फसल की वैज्ञानिक पद्धति द्वारा खेती करने, अभियंता डॉ. स्वपनील चौधरी ने पराली प्रबंधन के उपयोग में आने वाली मशीनों बारे जानकारी दी।
कीट वैज्ञानिक व वरिष्ठ समन्वयक कृषि विज्ञान केन्द्र सदलपुर डॉ. नरेन्द्र ने रबी फसलों में आने वाले विभिन्न कीटों के बारे में बताया और कहा कि किसानों को एक बार में एक ही कीटनाशक का छिडक़ाव आर्थिक कागार के आधार पर करना चाहिए। वरिष्ठ समन्वयक, कृषि विज्ञान केन्द्र सिरसा डॉ. देवेन्द्र जाखड़ और जींद ने भी अपने वचार रखे। इस अवसर पर प्रगतिशील किसानों को पुरस्कृत भी किया गया। मेले में एक हजार से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार ने निदेशक, सहनिदेशक व अन्य कृषि वैज्ञानिकों व किसानों का धन्यवाद किया।