टोहाना / 30 अक्टूबर / न्यू सुपर भारत
पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए संबंधित क्षेत्र में कड़ी निगरानी रखी जाए और जहां कहीं भी फसल अवशेष जलाने की सूचना मिलती है, वहां पहुंचकर त्वरित कार्रवाई करें। किसानों को पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताएं और उन्हें पराली को जलाने की बजाए इसके उचित निपटान बारे जागरूक किया जाए।उक्त निर्देश एसडीएम प्रतीक हुड्डा ने कृषि, राजस्व और पंचायत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की पराली प्रबंधन बारे आयोजित बैठक में समीक्षा करते हुए दिये। एसडीएम प्रतीक हुड्डा ने कहा कि रेड व येलो जोन में विशेष रूप से फोक्स रखें और वहां के किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए प्रेरित करें। टोहाना में 28 रेड और 27 येलो जोन है। इनपर विशेष ध्यान दिया जाये और ग्राम स्तर पर बनाई समिति को सक्रिय रखे।
एसडीएम ने कहा कि नोडल अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार निगरानी रखें तथा फसल अवशेष जलाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग आपस में तालमेल बनाते हुए लोगों को पराली न जलाने बारे जागरूक करेंगे। यदि कोई व्यक्ति अपने पराली जलाने का दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ तुरंत जुर्माना लगाएं तथा नियमानुयार कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि रैड व येलो जोन में आने वाले गांवों पर कड़ी निगरानी रखें तथा जहां कहीं भी हरसेक या अन्य किसी माध्यम से पराली जलाने की सूचना मिलती है, अधिकारी-कर्मचारी तुरंत कार्रवाई करें। इसके अलावा ग्राम सभाओं के माध्यम से किसानों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए।
ग्रामीणों को बताएं कि जहां एक तरफ फाने जलाने से जहां पर्यावरण प्रदूषित होता है वहीं अनेक प्रकार की बीमारियां फैलने का अंदेशा बना रहता है तथा साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी कमजोर हो जाती है। किसान पराली प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करें ताकि पशुओं के लिए चारे की कमी न हो और भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़े। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से बढ़ता प्रदूषण बेहद चिंता का विषय है और प्रदूषित व जहरीली हवा मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पशुओं के लिए भी घातक है। इस हालात से निपटने के लिए हम सब को सामूहिक प्रयास करने होगें।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं समेत किसानों व अन्य ग्रामीणों का सहयोग अपेक्षित है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ पंचायत की जिम्मेदारी भी तय की गई है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करने के लिए कृषि यंत्रों पर भारी अनुदान भी दिया जाता है और पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को भी प्रोत्साहन स्वरुप राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि जो किसान अपने धान की पराली का कृषि यंत्र द्वारा पराली प्रबंधन करवा रहे हैं, उस किसान को प्रति एकड़ अधिकतम एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।